सांकेतिक फोटो (सोशल मीडिया)
UP News: उत्तर प्रदेश में लगातार बड़े-बड़े अपार्टमेंट, संस्थानों आदि में लिफ्ट के बंद होने और टूट कर गिरने से होने वाले दाहसों की खबरें सामने आ रही है. इस मामले में कोई कड़ा कानून न होने के कारण लिफ्ट मालिक या संस्था लगातार इस मामले में लापरवाही बरतते आ रहे हैं. अभी हाल ही में गाजियाबाद के सिद्धार्थ विहार की प्रतीक ग्रैंड सोसायटी में लिफ्ट 8 फ्लोर से सीधे बेसमेंट में पहुंच गई थी. इस घटना में मां और बच्चा फंस गए थे. तो यहीं पर पहले भी इस तरह की घटना होने के बाद भी लिफ्ट ठीक नहीं कराई गए, लेकिन अब ऐसा नहीं हो सकेगा. इस सम्बंध में जल्द ही यूपी सरकार कठोर कानून लाने जा रही है. इसके बाद लापरवाही बरतने वाले सजा से बच नहीं पाएंगे.
बता दें कि मंगलवार को लखनऊ में लिफ्ट एक्ट के प्रस्तावित मसौदे को अपर मुख्य सचिव ऊर्जा महेश कुमार गुप्ता की उपस्थिति में मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र के सामने प्रस्तुत किया जा चुका है. इस सम्बंध में सूत्रों की मानें तो प्रस्तावित अधिनियम को कैबिनेट की मंजूरी के लिए जल्द ही भेजा जाएगा और फिर इसी के बाद विधानमंडल के शीतकालीन सत्र के दौरान इसे पेश करने की तैयारी भी है.
मीडिया सूत्रों के मुताबिक, उत्तर प्रदेश के ऊर्जा विभाग ने यूपी लिफ्ट एंड एस्केलेटर एक्ट का मसौदा तैयार कर लिया है. जानकारी सामने आ रही है कि, इसमें प्रावधान होगा कि बिना पंजीकरण के कोई लिफ्ट नहीं लगा सकेगा और अगर लिफ्ट से किसी भी तरह का हादसा होता है तो एक लाख रुपए का जुर्माना और तीन महीने की सजा या दोनों का प्रावधान होगा. अगर घरेलू लिफ्ट नहीं है तो बचे सभी लिफ्ट में प्रशिक्षित ऑपरेटर को रखना भी जरूरी होगा. इस प्रस्तावित कानून में सभी प्रकार के लिफ्ट और एस्केलेटर दोनों को ही रखा गया है. साथ ही प्रस्ताविक एक्ट में सरकारी कार्यालयों व संस्थानों के साथ ही व्यापारिक प्रतिष्ठानों के लिए भी कड़े प्रावधान रखे जाएंगे और संस्थान चाहे निजी हो या सरकारी, दो भी लिफ्ट लगेगी, उसके सभी संचालक इसके दायरे में आएंगे.
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लिफ्ट लगाने वाले आवेदकों को माननी होगी ये बात
बता दें कि लिफ्ट एक्ट को लेकर यूपी सरकार ने पूरी तैयारी कर ली है. घरेलू लिफ्ट और एस्केलेटर, दोनों पर कानून का दायरा सीमित होगा. लिफ्ट लगाने के लिए जो भी संस्था आवेदन करेगी, उसको अनिवार्य रूप से “ऑटो रेस्क्यू डिवाइस” वाली लिफ्ट लगाना होगा. बताया जा रहा है कि इस डिवाइस के कई फायदे हैं. यानी अगर अचानक बिजली चली जाती है या अन्य कोई तकनीकी खराबी लिफ्ट में आती है या अचानक कहीं रुक जाती है तो लिफ्ट का दरवाजा खुद ही खुल जाएगा.
मिलेगा मुआवजा
लिफ्ट एक्ट में मुआवजा का भी प्रावधान रखा गया है. यानी जो भी संस्था लिफ्ट लगवाएगी या जो भी लिफ्ट मालिक होगा, उसे थर्ड पार्टी बीमा भी कराना होगा. इससे अगर किसी भी तरह का कोई हादसा होता है तो पीड़ित पक्ष को मुआवजा मिल सकेगा.
इन राज्यों में पहले से ही लागू है लिफ्ट एक्ट
बता दें कि कर्नाटक, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, गुजरात, पश्चिम बंगाल, हरियाणा, केरल, दिल्ली, झारखंड, हिमाचल प्रदेश और असम में पहले से ही लिफ्ट एक्ट लागू है. देश के इन राज्यों में लागू लिफ्ट एक्ट में तय किया गया है कि, किसी भी लिफ्ट की अधिकतम उम्र 20 से 25 साल से अधिक नहीं होगी, लेकिन मेंटिनेंस न होने पर ये उम्र घट जाएगी. इसी के साथ ही नेशनल बिल्डिंग कोड 2016 में 15 मीटर से ऊंची किसी भी बिल्डिंग में लिफ्ट लगाना अनिवार्य किया गया है और इसी के साथ लोगों के हित के लिए तमाम नियन-कानून को एक्ट में शामिल किया गया है.
-भारत एक्सप्रेस