सुप्रीम कोर्ट.
पर्यावरण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर चिंता व्यक्त की है. कोर्ट ने गंगा नदी और अन्य नदियों में फेंके जा रहे प्लास्टिक कचड़े पर यह चिंता व्यक्त की है. कोर्ट ने कहा कि नदियों को प्लास्टिक कचरे से जब तक मुक्ति नहीं मिलेगी, तब तक नदियों की सफाई एक दिखावा ही रहेगा. कोर्ट ने कहा कि नदियों को प्लास्टिक से मुक्ति के लिए जनता का सहयोग लेना चाहिए. जस्टिस हृषिकेश रॉय और जस्टिस एस वी एन भट्टी की बेंच मामले में सुनवाई कर रही है.
कोर्ट ने केंद्र सरकार, राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन, और बिहार सरकार से अपील में उठाये गए मुद्दों के साथ-साथ नदी के किनारों और जल निकायों में प्लास्टिक कचरे के डंपिंग के मामले में चार सप्ताह में हलफनामा दायर करने को कहा है. मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि गंगा और अन्य नदियों में प्लास्टिक फेंके जाने से पर्यावरण को गंभीर नुकसान हो रहा है और देश में जल जीवन पर भी इसका असर देखने को मिल रहा है.
कोर्ट ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार और बिहार सरकार यह सुनिश्चित करें कि भविष्य में पटना शहर में खासतौर पर गंगा नदी किनारे किसी भी तरह का अवैध निर्माण या अतिक्रमण न हो. बतादें कि कोर्ट पटना में गंगा नदी के किनारे अवैध अतिक्रमण या निर्माण को हटाने की मांग को लेकर अशोक कुमार सिन्हा की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को यह सुनिश्चित करने को कहा था कि गंगा नदी से सटे क्षेत्रों खासकर पटना और उसके आसपास कोई और निर्माण कार्य न हो.
सुप्रीम कोर्ट 30 जून 2020 के एनजीटी के आदेश के खिलाफ पटना के निवासी अशोक कुमार सिन्हा की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा है. एनजीटी ने पर्यावरण के लिहाज से संवेदनशील क्षेत्र डूब क्षेत्रों पर अवैध निर्माण और स्थायी अतिक्रमण के खिलाफ अशोक कुमार सिन्हा की ओर से दायर याचिका को खारिज कर दिया है.
ये भी पढ़ें- बांग्लादेश में हिंदुओं सहित सभी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए हरसंभव कदम उठाए भारत सरकार: विहिप
-भारत एक्सप्रेस
इस तरह की अन्य खबरें पढ़ने के लिए भारत एक्सप्रेस न्यूज़ ऐप डाउनलोड करें.