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Republic Day 2024: गणतंत्र दिवस को लेकर यूपी में तैयारी तेज कर दी गई है. शुक्रवार को देश का 75वां गणतंत्र दिवस मनाया जाएगा. इस अवसर पर वीरता पुरस्कारों की घोषणा भी कर दी गई है और इस बार देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश से दो आईपीएस अधिकारियों को गैलेंट्री अवॉर्ड से सम्मानित किया जाएगा. इस खास सम्मान के लिए यूपी के डीजी लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार और आईजी मंज़िल सैनी को चुना गया है. इन दोनों अधिकारियों को इस बार गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रपति के हाथों वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा. इसकी घोषणा गृह मंत्रालय की ओर से की गई है.
बता दें कि यूपी से जिन दो आईपीएस अधिकारियों को इस सम्मान के लिए चुना गया है, वो प्रदेश के तेज तर्रार अधिकारी हैं. यूपी के एडीजी प्रशांत कुमार साल 1990 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं. उनको सीएम योगी आदित्यनाथ का सबसे भरोसेमंद और चहेता माना जाता है. तो वहीं महिला पुलिस अधिकारियों में मंजिल सैनी को लेडी सिंघम कहा जाता है. वह साल 2005 बैच की आईपीएस अधिकारी हैं. वह प्रदेश के सबसे महत्वपूर्ण माने जाने वाले शहर यानी लखनऊ और रामपुर की एसएसपी रह चुकी हैं. उन्होंने हमेशा अपनी जिम्मेदारी को बखूबी सम्भाला है और शानदार काम किया. लखनऊ के एसएसपी का पद संभालने वाली वह पहली महिला अफ़सर रही है. इसके अलावा उन्होंने इटावा में भी काम किया है. अमित कुमार किडनी रैकेट मामले की जाँच में उनकी अहम भूमिका रही है. महिलाओं के हित में भी उन्होंने बहुत काम किया है.
बिहार में जन्मे प्रशांत कुमार
बता दें कि आईपीएस प्रशांत कुमार का जन्म बिहार के सीज़न ज़िले में हुआ था. उनका चयन तमिलनाडु कैडर में हुआ था, लेकिन निजी कारणों के चलते साल 1994 में उनका ट्रांसफ़र यूपी कैडर में कर दिया गया. जब प्रदेश में योगी सरकार आई तो उनको प्रदेश में क़ानून व्यवस्था बनाए रखने की ज़िम्मेदारी दी गई, जिसे उन्होंने बख़ूबी सम्भाला. हाल ही में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को व्यवस्था के साथ करवाया. यूपी में क्राइम कंट्रोल का श्रेय उन्हीं को जाता है.
जानें क्यों दिया जाता है गैलेंट्री अवार्ड
बता दें कि, गैलेंट्री अवॉर्ड शौर्य और विशिष्ट सेवा के लिए दिया जाता है. इस सम्मान की घोषणा साल में दो बार की जाती है. यानी पहली बार 26 जनवरी यानी गणतंत्र दिवस के अवसर पर और दूसरी बार 15 अगस्त यानी स्वतंत्रता दिवस के मौके पर. मालूम हो कि रक्षा क्षेत्र में अतुलनीय योगदान के निभाना वाले जवानों और अधिकारियों के नामों का पहले चयन किया जाता है और फिर उनको गृह मंत्रालय को भेजा जाता है. इसी के बाद चयनित लिस्ट राष्ट्रपति के पास भेजी जाती है और उनकी अनुमति के बाद ही इस पुरस्कार की घोषणा की जाती है.
-भारत एक्सप्रेस
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