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Ayodhya Ram Mandir: महाराष्ट्र के भक्तों ने बालक राम को भेंट की 80 किलोग्राम वजन वाली 7 फीट 3 इंच लंबी तलवार, पौष पूर्णिमा पर उमड़ा आस्था का सैलाब

अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद 25 जनवरी को पहला महास्नान कराया गया. इस मौके पर बड़ी संख्या में भक्तों ने सरयू में डुबकी लगाई.

Ayodhya, Ram Mandir

राम मंदिर

Ayodhya Ram Mandir: रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के बाद से ही अयोध्या में विराजे बालक राम की एक झलक देखने के लिए लाखों श्रद्धालु उमड़ पड़े हैं. 22 जनवरी के बाद हुई प्राण-प्रतिष्ठा के दूसरे दिन से ही लाखों लोग पैदल ही अपने राम की एक छवि देखने के लिए राम मंदिर की ओर भागे जा रहे हैं. तो इसी बीच अपने राम को भेंट करने के लिए उपहारों के तमाम जिलों से आने का सिलसिला जारी है. मालूम हो कि प्राण-प्रतिष्ठा से पहले भी देश के तमाम हिस्सों से भक्तों ने अपने रामलला के लिए तमाम उपहार भेजे हैं. तो वहीं अब बाल रूप राम भगवान के लिए महाराष्ट्र से बुधवार को 80Kg की खास तलवार भेजी गई है. इसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.

मालूम हो कि रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद 25 जनवरी 2024 को पहला महास्नान कराया गया. इस मौके पर आस्था में डूबे भक्तों ने भी सरयू डुबकी लगाई. तो वहीं राम मंदिर के उद्घाटन के बाद पड़ी पहली पौष पूर्णिमा के कारण ये दिन और भी खास बन पड़ा है. बता दें कि धार्मिक रूप से इस दिन को बेहद खास माना जाता है और गंगा स्नान का महत्व है. इस मौके पर यूपी काशी और प्रयागराज व उत्तराखंड के हरिद्वार में गंगा स्नान के लिए भीड़ उमड़ती है, लेकिन इस बार रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने के कारण अयोध्या में उमड़े लाखों भक्तों ने सरयू में स्नान करने के बाद अपने रामलला के दर्शन किए. बता दें कि सरयू में स्नान करने वाले भक्तों की व्यवस्था को देखने के लिए 2019 से ही रिवर पुलिस तैनात है जो स्नान करने आए भक्तों और लोगों की सुरक्षा और सुविधाओं का खास ख्याल रखती है. सुरक्षा को देखते हुए नदी तक 10 फुट के दायरे में सुरक्षा घेरा बनाया गया है ताकि इसी के अंदर रहकर लोग स्नान करें और कोई दुर्घटना न हो.

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जानें स्नान का शुभ मुहूर्त?

बता दें कि हिंदू धर्म में पौष पूर्णिमा के दिन को काफी महत्वपूर्ण माना गया है. अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:12 बजे से 12:55 बजे तक है. इस दिन पुनर्वसु नक्षत्र, सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग और गुरु पुष्य योग जैसे अद्भुत संयोग बन रहे हैं. माना जाता है कि इस दिन दान-पुण्य करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है. इस दिन लोग सुबह स्नान के बाद सूर्य देव को जल से अर्घ्य देकर व्रत और पूजा का संकल्प लेते हैं.

जानें क्या है पौष पूर्णिमा पर रामलला के दर्शन का महत्व

हिंदू धर्म में पौष माह की पूर्णिमा को धार्मिक रूप से बेहद खास माना गया है. इस दिन चंद्रमा पूरे आकार में होता है. बता दें कि पौष मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को पौष पूर्णिमा कहा जाता है. पौष पूर्णिमा के दिन दान, स्नान और करने और सूर्य देव को अर्घ्य दे कर दान-पुण्य करने का विशेष महत्व माना गया है. यहां बता दें कि, पौष माह को ज्योतिष शास्त्र में व हिंदू धर्म में सूर्य देव का मास माना गया है. इस दिन सूर्य देव की विशेष पूजा करने का महत्व बताया गया है. मान्यता है कि ऐसा करने से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है. भगवान राम सूर्यवंशी हैं इसलिए अयोध्या में सरयू स्नान के बाद रामलला के दर्शन और पूजा का भी विशेष महत्व है. यही वजह है कि इस बार की पौष पूर्णिमा राम भक्तो के लिए विशेष बन गई है.

लखनऊ के आभूषण से सज रहे हैं बाल राम

बता दें कि, मंदिर में विराजमान बालक राम की छवि इतनी अद्भुत है कि भक्तों का मन उनको बस निहारते रहने का कर रहा है. तो वहीं उनका रामलला के आभूषण भी लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं. खबरों के मुताबिक बालक राम के आभूषण लखनऊ में बने हैं. लखनऊ के ज्वैलर अंकुर आनन्द ने रामलला के आभूषण बनाकर तैयार किए हैं. वह बताते हैं कि, श्री राम मंदिर ट्रस्ट ने 15 दिन पहले उनसे सम्पर्क किया था. वह पारंपरिक आभूषणों के एक्सपर्ट हैं और सालों से भगवान के आभूषण बना रहे हैं. उन्होंने बताया कि, मात्र 12 दिन के अंदर भगवान राम के 14 आभूषण उनके यहां पर बनकर तैयार हुए हैं. उन्होंने बताया कि, इसमें 15 किलो सोने से निर्मित आभूषणों में नेचुरल डायमंड, पन्ना, माणिक्य और मोती का इस्तेमाल किया गया है. वह बताते हैं कि, इससे पहले वह बांके बिहारी मंदिर, वृंदावन,अलीगढ़,बदायूं समेत कई प्रमुख मंदिरों के भगवान के लिए आभूषण तैयार कर चुके हैं. अंकुर आनन्द आगे बताते हैं कि, जब उनसे मंदिर ट्रस्ट ने सम्पर्क किया तो ट्रस्ट ने शर्त भी रखी थी कि मुकुट और अन्य आभूषण बनाते समय इस बात का ध्यान रखें कि भगवान राम एक 5.5 साल के बालक हैं, जैसे 5.5 साल के बालक की वेशभूषा और आभूषण होते हैं वैसा ही मुकुट होना चाहिए. उन्होंने बताया कि, बालक राम का मुकुट सोने से बनाया गया है, जिसमें माणिक्य,पन्ना और हीरों का अलंकरण है. भगवान राम के मुकुट के बीच भगवान राम के सूर्यवंश के प्रतीक भगवान सूर्य का चिन्ह बनाया गया है. इसी के साथ ही मोर जो राष्ट्रीय पक्षी है और साथ ही राजसी सत्ता का प्रतीक है, रामलाल के गले में रत्नों से जड़ित कांटा शोभित है कंठे के ठीक नीचे पन्ने की लड़ियां लगाई गई है, गहने जयपुर की एक आभूषण फैक्ट्री में तैयार हुए हैं.

-भारत एक्सप्रेस

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