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Mau: सपा नेता पर लगा गुंडा एक्ट, जिला बदर करने का आदेश, शिवपाल के माने जाते हैं बेहद करीबी

Mau: गुंडा एक्ट लगने के बाद सपा नेता विद्युत प्रकाश यादव के पक्ष में उतरे जिला पंचायत सदस्यों ने जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपकर ये एक्ट हटाने की मांग की है.

विद्युत प्रकाश यादव (फाइल फोटो)

ज़ाहिद इमाम

UP News: जहां एक ओर यूपी में निकाय चुनाव (Nikay Chunav) को लेकर राजनीतिक दलों में अपने-अपने उम्मीदवारों के प्रचार-प्रसार करने का दौर शुरू हो गया है. वहीं मऊ जिले में सपा नेता व पूर्व ब्लाक प्रमुख विद्युत प्रकाश यादव पर गुंडा एक्ट लगाते हुए जिला बदर कर दिया गया है. फिलहाल वह फरार चल रहे हैं. पुलिस ने उनकी तलाश में घर पर छापेमारी की थी, लेकिन वह नहीं मिले. वहीं बुधवार को जिला पंचायत सदस्यों ने जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपकर विद्युत प्रकाश यादव पर की गई कार्रवाई को गलत बताया है और गुंडा एक्ट हटाने की मांग की है.

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दो बार रह चुके हैं ब्लाक प्रमुख

बता दें कि विद्युत प्रकाश यादव घोसी तहसील क्षेत्र के बड़राव ब्लाक से दो बार ब्लाक प्रमुख रह चुके हैं. इसके अलावा जनपद में समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता माने जाते हैं और लगातार 20 वर्ष तक बडरांव ब्लाक प्रमुख पर इनका कब्जा रहा है. इन दिनों इनके विरोधी राजकुमार ने एक बार बाजी अपने हाथ में कर ली लेकिन एक साल के अंदर ही तख्ता पलट ‌करते हुए उन्होंने अपने मनमाफिक ब्लाक प्रमुख बनवा लिया था.

शिवपाल के हैं बुरे दिन के साथी

विद्युत प्रकाश यादव को शिवपाल यादव का बेहद करीबी माना जाता है. इसी वजह से जब शिवपाल यादव के सपा छोड़ी थी तो इन्होंने भी सपा छोड़कर शिवपाल यादव की पार्टी ज्वाइन कर ली थी. आज भी यदि सपा नेता शिवपाल यादव जनपद मऊ में आते हैं तो विद्युत यादव को अपनी गाड़ी में बगल की सीट पर बैठाकर यह साबित करते हैं कि विद्युत हमारे बुरे दिन के साथी रहे हैं.

कई धाराओं में दर्ज हैं दर्जन भर से अधिक मुकदमे

विद्युत‌ यादव पर दर्जन भर से अधिक मुकदमे दर्ज हैं. बताया जाता है कि वह लगातार तारीख लेकर मामले को लंबित करते रहे हैं. इसी मामले की‌ सुनवाई करते हुए अपर जिलाधिकारी ने 25 अप्रैल को गुंडा एक्ट की‌ कार्रवाई करते हुए इनको 6 महीने के लिए जिला‌ बदर घोषित कर दिया है और प्रभारी निरीक्षक थाना घोसी को इस संबंध में समस्त आवश्यक कार्यवाई करने के निर्देश दिए, साथ ही आदेश की एक प्रति पुलिस अधीक्षक को इस आशय से प्रेषित किया कि जनपद के समस्त थानाध्यक्षों को इस संबंध में आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित कराई जाए.

आईपीसी की इन धाराओं में दर्ज हैं मुकदमें

वर्ष 2004 – 143, 504,506,427

वर्ष 2005 – 147,148,149,307,504

वर्ष 2007- 323,504,506

वर्ष 2008- 332,504,506

वर्ष 2009- 147,323,504,506,442,379

-भारत एक्सप्रेस

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