ताज महल
UP News: सात अजूबों में से एक ताजमहल (Taj Mahal) का रंग बदरंग हो रहा है. इस पर कीड़ों ने हमला बोल दिया है, जिससे संगमरमरी पत्थरों का रंग बदलता जा रहा है. ताजमहल में अचानक होने वाले इस बदलाव को देखकर लोग हैरान हैं. पर्यटक को इसकी तस्वीर तक खींच कर ले जा रहे हैं.
बताया जा रहा है कि यमुना में प्रदूषण बढ़ने और पानी कम होने से गोल्डी कायरोनोमस कीड़े पनपने लगे हैं. इन कीड़ों ने ताजमहल पर हमला कर उसके पत्थरों के रंग को बदल दिया है. स्मारक के संगरमरमरी पत्थरों का रंग हल्का हरा और काला होता जा रहा है जो कि चिंताजनक है.
जानकारों की माने तो यमुना में प्रदूषण बढ़ने और पानी कम होने पर गोल्डी कायरोनोमस कीड़े पनपने लगते हैं. चूंकि इस दौरान तापमान भी बढ़ रहा है और तेज धूप के कारण यमुना के पानी को सोख रही है. इसी वजह से ये कीड़े तेजी से पनपन रहे हैं. ये कीड़े यमुना में से उड़कर सीधे ताजमहल की ओर जाते हैं और पत्थरों से टकराकर यहीं पर चिपक जाते हैं. पत्थरों पर कीड़ों का एकत्र होने और इनके स्राव के कारण काले और हरे रंग के निशान दिखने लगे हैं.
सूत्रों के मुताबिक, अष्टकोणीय ताज के उत्तर-पूर्वी और उत्तर-पश्चिमी किनारों पर भी हरे रंग की गंदगी दिखाई देने लगी है. अब तक स्मारक में पच्चीकारी व दीवारों को नीचे की तरफ हरा कर रहे कीड़ों का असर अब ऊपर तक दिखाई देने लगा है. बताया जा रहा है कि यमुना की ओर बने आर्च में भी इनके निशान देखे जा रहे हैं. यही नहीं मुख्य गुंबद की जालियों के नीचे की किनारी में तो इनका बड़ी संख्या में जमावड़ा भी दिखने लगा है. विदेशी सैलानी कौतूहलवश इस दृश्य को अपने कैमरे में कैद करके ले जा रहे हैं. बता दें कि करीब दो साल पहले भी कीड़ों के पनपने और उनके द्वारा ताज पर हमला करने के कारण पत्थर बदरंग हो गए थे. इस मामले का बीते सालों में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने भी संज्ञान लिया था.
आठ साल में चार बार बदरंग हो चुका है ताज
सूत्रों की माने तो पिछले आठ सालों में चार बार ताज इन कीड़ों के कारण बदरंग हो चुका है. 2015, 2019, 2021 में इन कीड़ों का प्रकोप दिखा था और अब फिर इन कीड़ों ने हमला बोला है. जानकार बताते हैं कि काइरोनोमस मादा कीट एक बार में एक हजार तक अंडे देती है. लार्वा और प्यूमा के बाद करीब 28 दिन में पूरा कीड़ा बनता है. यह दो दिन तक जीवित रहता है. यमुना नदी में पानी कम होने और प्रदूषण बढ़ने पर कीड़ों के कारण हरे और काले निशान पड़ रहे हैं.
पानी से धुलवाए जाएंगे पत्थर
एएसआई के वरिष्ठ संरक्षण सहायक, प्रिंस वाजपेयी ने मीडिया को जानकारी दी कि कीडों से पत्थरों पर जमा हरे रंग को पानी से धुलवाया जाएगा. पत्थरों को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचने दिया जाएगा.
आठ साल पहले बनी थी कमेटी
सूत्रों की माने तो आठ साल पहले यानी 2015 में प्रशासन ने कीड़ों को पनपने से रोकने के लिए 11 सदस्यीय कमेटी का गठन किया था. कमेटी ने तय किया था कि ताज के पीछे यमुना में उत्खनन कराया जाएगा. ताकि यमुना में दलदल न हो सके. इसके लिए यमुना के पानी को भी कम नहीं होने दिया जाएगा. प्रयास रहेगा कि मथुरा की ओर से पर्याप्त मात्रा में आगरा के लिए पानी छोड़ा जाता रहे. उसके बाद भी आज तक इस योजना पर कोई काम नहीं हुआ.
-भारत एक्सप्रेस
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