पीडब्ल्यूडी विभाग (फोटो सोशल मीडिया)
UP News: प्रदेश की सड़कों को गढ्ढा मुक्त करने के योगी सरकार के तमाम दावों पर लोक निर्माण विभाग (PWD) ने पलीता लगा दिया है. जनता टूटी-फूटी व खडंजा हो चुकी सड़कों पर लगातार चलने को मजबूर रही. न जाने कितनी ही घटनाएं टूटी सड़क के कारण प्रदेश के तमाम हिस्सों में हुईं, लेकिन पीडब्लूडी विभाग ने इनको ठीक करने की कोई जहमत नहीं उठाई, बल्कि इस वित्तीय वर्ष में 8914 करोड़ रुपये सरेंडर भी कर दिए है जो सड़क निर्माण करने व उसे गड्डा मुक्त बनाने सहित कई मदों में जारी किया गया था. फिलहाल खबर सामने आ रही है कि बजट वापसी के बाद शासन जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई करने की तैयारी कर रही है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक प्रदेश सरकार से पीडब्ल्यूडी विभाग को जो राशि सड़क निर्माण और रखरखाव आदि मदों के लिए जारी हुई थी. उसे खर्च करने में विभाग नाकाम रहा है. 2021-22 के वित्त वर्ष में भी 6982 करोड़ रुपए की रकम सरेंडर की गई थी. इस वित्त वर्ष में विभाग को 23562 करोड़ का बजट मिला था, इसमें से 6982.36 करोड़ काम न होने की वजह से सरेंडर कर दिया गया था. यह कुल बजट का 29. 63 प्रतिशत था.
वहीं 2022-23 में 24590 करोड़ बजट का प्रावधान किया गया था. इसके तहत सड़कों, सेतुओं व भवन मद में व्यवस्था की गई थी. अगर मीडिया सूत्रों की माने तो दिसम्बर 2022 तक बजट खर्च करने की रफ्तार इतनी धीमी रही कि तय समय में बजट पूरा खर्च ही नहीं हो सका. जबकि अनुपूरक बजट में विभाग की मांग पर 2550 करोड़ रुपए और दिए गए. इस तरह से कुल 27140 करोड़ रुपए का बजट विभाग को मिला. इसमें से 8914 करोड़ रुपए 31 मार्च तक उपयोग में नहीं आ सके और फिर इनको लौटा दिया गया. बताया जा रहा है कि यह कुल आवंटित बजट का 33 प्रतिशत है.
बता दें कि इस मामले में बार- बार शासन की ओर से मिलने वाली चेतावनी भी पीडब्ल्यूडी विभाग के अधिकारियों को नहीं सुधार सकी. नतीजतन सड़कें खस्ताहाल हैं और जनता बेहाल है. बता दें की पीडब्ल्यूडी विभाग को जो बजट दिया जाता है उसका उपयोग पुल ,सड़कें, व भवन के लिए किया जाता है.
क्या बोले प्रमुख सचिव पीडब्लूडी
बजट सरेंडर होने के मामले मे प्रमुख सचिव पीडब्ल्यूडी, अजय चौहान ने मीडिया को बताया कि बजट सरेंडर होने की रिपोर्ट मिल चुकी है और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने जा रहे हैं.
-भारत एक्सप्रेस