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Ramcharitmanas: रामचरितमानस की कुछ चौपाइयों को हटाने की मांग, स्वामी प्रसाद मौर्य ने लिखा पीएम मोदी को पत्र

Ramcharitmanas: मौर्य ने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित “रामचरितमानस” उत्तर भारत में बहुत लोकप्रिय है. मध्यकालीन सामंती राजसत्ता के दौर में रचे गए अवधी महाकाव्य रामचरित मानस के कतिपय प्रसंगों में वर्णवादी सोच निहित है.

प्रेसवार्ता करते स्वामी प्रसाद मौर्य

Ramcharitmanas Row: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य ने बुधवार को एक पत्र लिखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से रामचरितमानस की उन पंक्तियों को हटाए जाने की मांग की है जिसको लेकर वह विरोध कर रहे हैं. स्वामी प्रसाद मौर्य ने इस मुद्दे को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस की. उन्होंने पत्र के जरिए पीएम से मांग की है कि अनेक कथावाचक और धार्मिक पाखंडी प्रतिदिन रामचरितमानस की चौपाइयों को उद्धृत करके उन्हें ईश्वर सम्मत फैलाते हैं, जिससे इस देश के करोड़ों लोगों की भावनाएं आहत होती हैं.

क्या लिखा स्वामी प्रसाद मौर्य ने

पीएम मोदी को लिखे पत्र में सपा नेता ने लिखा, “गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित “रामचरितमानस” उत्तर भारत में बहुत लोकप्रिय है. मध्यकालीन सामंती राजसत्ता के दौर में रचे गए अवधी महाकाव्य रामचरित मानस के कतिपय प्रसंगों में वर्णवादी सोच निहित है. इसकी अनेक चौपाइयों में भेदभावपरक वर्ण व्यवस्था को उचित ठहराया गया है. कुछ चौपाईयों में वर्ग विशेष की श्रेष्ठता स्थापित की गई है और शूद्रों को नीच और अधम बताया गया है. कतिपय चौपाइयों में स्त्रियों के लिए अपमानजनक शब्दों का प्रयोग हुआ है. वस्तुतः यह संदर्भ तुलसीदास की मध्यकालीन सोच का परिचायक है. 90 साल के लंबे संघर्ष के बाद भारत को राजनीतिक आजादी प्राप्त हुई.”

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सपा नेता ने लिखा, “नए भारत के निर्माण के लिए प्रारूप समिति के अध्यक्ष बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर ने गहन अध्ययन और कठिन परिश्रम से ऐसे संविधान की रचना की, जिसमें स्वाधीनता आंदोलन से उपजे विचार और समूचे भारतवासियों के सपने समाहित हैं. संविधान सभा में संपन्न संवाद और मंथन से भारत का संविधान समृद्ध हुआ. 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू हुआ. संविधान ने देश में समता, न्याय और बंधुत्व को सैद्धांतिक रूप से स्थापित किया. बाबासाहेब आंबेडकर ने इस बात को स्पष्ट तौर पर रेखांकित किया था कि समता और न्याय को व्यावहारिक धरातल पर स्थापित करना हमारा अभिष्ट है. इसलिए सविंधान के अनुच्छेद 15 में धर्म, मूलवंश, जाति लिंग या जन्म के स्थान के नाम पर भेदभाव न करने का उल्लेख किया गया है.”

पल्लवी के दर्द को समझा है हमने

स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि पल्लवी पटेल के शूद्र होने का दर्द हमने समझा है. श्रीराम देश के बहुतों के आराध्य है, संविधान लागू होने के बाद सभी धर्म एक समान है. भाजपा सरकार अपनी असफलता-अपराध पर पर्दा डालने का प्रयास कर रही है. हमें कोई नोटिस नहीं आई, सरकार भाजपा की है, हजार मुकदमे लिखा सकती है. रामचरितमानस की चौपाई में संशोधन की मांग करना अपराध नहीं है. उन्होंने कहा, “ओपी राजभर अभी 2 दिन से राजनीति में आये हैं. मैं आज भी 1200 स्क्वायर फिट के मकान में रहता हूं. मैंने रामचरितमानस की चौपाई में संशोधन के लिए पीएम और राष्ट्रपति को पत्र भेजा है और उम्मीद है पीएम और राष्ट्रपति आदिवासी, पिछड़ों, दलितों, महिलाओं के सम्मान को सुनिश्चित कराने का काम करेंगे. तथाकथित बौद्धिक लोग मेरे बयान को तोड़-मरोड़कर पेश कर रहे हैं.”

-भारत एक्सप्रेस



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