क्या भारत के ‘AADHAAR’ की तरह पाकिस्तान में भी चलता है कोई कार्ड? जानें
Lucknow: सरकारी अस्पतालों में इलाज के लिए आने वाले मरीजों को इन दिनों परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. दरअसल तबादला नीति के खिलाफ आंदोलन कर रहे सरकारी अस्पतालों में कार्यरत नर्सिंग, टेक्नीशियन, पैरामेडिकल समेत कई संवर्गों के कर्मचारियों ने कार्य बहिष्कार कर दिया है और गलत समय में तबादला करने की नीति के खिलाफ उतर गए हैं. इन लोगों का कहना है कि तबादला की प्रक्रिया उस समय अपनाई जाती है, जब न्यू सेशन शुरू होता है, इससे उनका प्रशिक्षण प्रभावित होता है. इसे मार्च या अप्रैल में पूरा क्यों नहीं किया जाता है?
बता दें कि तबादला नीति के खिलाफ प्रदेश भर के सरकारी अस्पतालों में कार्यरत नर्सिंग, टेक्नीशियन, पैरामेडिकल समेत कई संवर्गों के कर्मचारियों ने सुबह आठ बजे से 10 बजे तक कार्यबहिष्कार का अभियान चला रहे हैं. इसके चलते सरकारी अस्पतालों में ओपीडी, जांच, भर्ती संबंधी काम प्रभावित हो रहा है. चिकित्सा स्वास्थ्य महासंघ की अध्यक्षता में प्रदेश भर के सरकारी अस्पतालों में तैनात नर्सिंग, पैरामेडिकल व अन्य श्रेणी के कर्मचारी कई दिनों से आंदोलन कर रहे हैं और गलत तबादला नीति के खिलाफ जमकर विरोध कर रहे हैं. इस पूरे मामले को लेकर महासंघ के प्रधान महासचिव अशोक कुमार ने बताया कि इस आन्दोलन की पूरी जिम्मेदारी स्वास्थ्य विभाग के अफसरों की है.
तबादलों में अनदेखी कर अधिकारी लगातार कर्मचारियों का उत्पीड़न कर रहे हैं. इसके विरोध में अब तक हम शांतिपूर्वक काला फीता बांधकर विरोध दर्ज करा रहे थे, लेकिन अधिकारी हमारी इस चुप्पी को हमारी कमजोरी समझ रहे थे और हमारी मांगों को लगातार नजर अंदाज कर रहे थे, लेकिन अब हमने खुला आंदोलन शुरू कर दिया है. अब सुबह 8 बजे से 10 बजे तक कोई भी कर्मचारी अस्पताल में काम नहीं करेगा. अगर अधिकारियों ने जल्द ही हमारी मांगे पूरी नहीं की तो आंदोलन लम्बा चलेगा. बता दें कि कार्य बहिष्कार के कारण सुबह अस्पतालों में ओपीडी प्रभावित रही तो वहीं पैथोलाजी, रेडियोलाजी संबंधी जांचें भी रुकी रहीं और इस भीषण गर्मी में मरीज हलकान रहे.
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