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UP Politics: लोकसभा चुनाव 2024 में अखिलेश कैसे साधेंगे लक्ष्य? सपा प्रमुख के इस फैसले से पार्टी के नेताओं में नाराजगी!

कार्यकारिणी में 24 मुसलमान, 17 दलित और 11 यादवों को शामिल कर एक तीर से कई निशाना साधने की कोशिश सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने की है, लेकिन वह अपने ही नेताओं को नाराज भी कर बैठे हैं.

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सपा मुखिया अखिलेश यादव

UP Politics: उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव-2024 को लेकर राजनीतिक दल अपना-अपना गुणा-भाग लगा रहे हैं. इस बीच समाजवादी पार्टी की ओर से खबर सामने आ रही है कि सपा ने राज्य कार्यकारिणी की घोषणा कर दी है, जिसमें 182 सदस्यों को शामिल किया गया है. फिलहाल राजनीतिक गलियारों में ये कार्यकारिणी चर्चा का विषय बनी हुई है. वजह है, बुलंदशहर, शामली, हापुड़ और मेरठ के नेताओं को इसमें शामिल न करना. ऐसे में माना जा रही है कि आने वाले लोकसभा चुनाव में पार्टी को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है. बता दें कि इस कार्यकारिणी नें चार उपाध्यक्ष, तीन महासचिव, 61 सचिव सहित अन्य लोगों को सदस्य बनाया गया है. सूत्रों के मुताबिक इसकी घोषणा होने के बाद पार्टी के तमाम कार्यकर्ताओं व नेताओं में नाराजगी है.

इस राज्य कार्यकारिणी में नरेश उत्तम पटेल को अध्यक्ष, राजकुमार मिश्रा को कोषाध्यक्ष और सपा के वरिष्ठ नेता आजम खान के बेटे व पूर्व विधायक अब्दुल्ला आजम को राज्य कार्यकारिणी में सचिव का पद दिया गया है. इसी के साथ सपा की प्रदेश कार्यकारिणी में पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक को प्रमुखता से स्थान दिया गया है. सूत्रों के मुताबिक, कार्यकारिणी में 24 मुसलमान, 17 दलित और 11 यादवों को शामिल कर एक तीर से कई निशाना साधने की कोशिश सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने की है, लेकिन वह अपने ही नेताओं को नाराज भी कर बैठे हैं. हालांकि इस कार्यकारिणी में मेरठ के कई कद्दावर नेताओं को शामिल किया गया है लेकिन फिर भी हापुड़, बुलंदशहर, शामली और मेरठ के तमाम नेता सपा प्रमुख अखिलेश यादव से नाखुश हैं और दबी जुबान में अपनी नाराजगी व्यक्त की है.

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फिलहाल जहां एक ओर वो नेता जिनका कार्यकारिणी में जगह मिली है, वो खुश हैं और अपनी खुशी मीडिया के सामने जाहिर कर रहे हैं. जबकि कुछ पुराने नेता अखिलेश के खिलाफ नाराजगी भी व्यक्त कर रहे हैं. इसी बीच खबर सामने आ रही है कि, पूर्व कैबिनेट मंत्री व पूर्व विधान परिषद सभापति कमला कांत गौतम को उम्मीद थी कि उनको सचिव बनाया जाएगा, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. इस पर वह खासे नाराज हैं. फिलहाल देखना ये है कि आने वाले लोकसभा चुनाव में अखिलेश को इसका क्या खामियाजा भुगतना पड़ सकता है. जहां एक ओर अखिलेश भाजपा को लोकसभा की सभी 80 सीटें हराने का दावा कर रहे हैं. वहीं अपनों की नाराजगी मोल लेकर वह अपने लक्ष्य को कैसे साधते हैं, ये देखने वाली बात होगी.

-भारत एक्सप्रेस

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