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उत्तरकाशी एवलॉन्च: अब तक 26 पर्वतारोहियों के शव बरामद,रेस्क्यू ऑपरेशन जारी

उत्तरकाशी हिमस्खलन में 26 शव बरामद

उत्तरकाशी हिमस्खलन के दौरान लापता हुए पर्वतारोहियों में से 26 लोगों के शव बरामद कर लिए गये हैं.ये सब नेहरू पर्वतारोहण संस्थान से ताल्लुक रखते हैं नेहरू पर्वतारोहण संस्थान के दल में से 29 सदस्य रविवार को डोकराणी बामक ग्लेशियर क्षेत्र में हिमस्खलन की चपेट में आने के बाद लापता हो गए थे.अभी 3 और पर्वतारोही लापता बताए जा रहें हैं. बृहस्पतिवार सुबह करीब साढ़े सात बजे से घटनास्थल पर रेस्क्यू अभियान शुरू किया गया. एसडीआरएफ(SDRF), एनडीआरएफ(NDRF), आईटीबीपी(ITBP) की टीम बुधवार को घटनास्थल से तीन घंटे की दूरी तक पहुंच चुकी थी. रेस्क्यू दल ने घटनास्थल की ओर बढ़ना शुरू किया. करीब साढ़े सात बजे घटनास्थल पर पहुंच कर रेस्क्यू अभियान शुरू किया गया. जबकि हाई एल्टीट्यूड वार वेलफेयर स्कूल गुलमर्ग की टीम मातली हेलीपैड से सीधे घटनास्थल पर उतरी. यहां से 22 शव को बरामद किए गए. इसकी जानकारी मिलते ही परिजन हेलीपैड पर जमा हो गए.

करीब दोपहर 2 बजे प्रशासन ने परिजनों को बताया कि घटनास्थल पर मौसम खराब होने के वजह से शवों को ला पाना संभव नहीं है. मौसम साफ होने का इंतजार किया जा रहा है. कुछ देर बाद परिजन निराश होकर लौट गए. संभावना जताई जा रही है कि शवों को शुक्रवार को लाया जाएगा.

यह है रेस्क्यू टीम

घटनास्थल पर निम के 42, आईटीबीपी(ITBP)  के 12, एसडीआरएफ(SDRF) के 8, हाई एल्टीट्यूट वार फेयर स्कूल गुलमर्ग (हॉज) के 14 व सेना के 12 सदस्य रेस्क्यू अभियान में लगे हुए हैं. रेस्क्यू दल के सभी सदस्य पूर्ण रूप से स्वस्थ हैं.

मौसम बन रहा बाधा

घटनास्थल बहुत अधिक ऊंचाई पर मौजूद है. रेस्क्यू के लिए सुबह धूप आने तक का समय इंतजार किया जा रहा है. क्योंकि यहां पल-पल मौसम बदल रहा है. गुरुवार को भी यहां बर्फबारी हुई थी.

जाते हुए हुआ था हादसा

नेहरू पर्वतारोहण संस्थान का द्रौपदी का डांडा-2 की ओर जाते हुए हिमस्खलन की चपेट में आया था. हादसे में जिंदा बचे निम के प्रशिक्षक अनिल कुमार ने बताया कि डोकरानी बामक ग्लेशियर क्षेत्र में स्थित द्रौपदी का डांडा-2 हिमस्खलन घटना के बाद निम ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया था कि हादसा चोटी से उतरने के दौरान हुआ था. हादसे में जिंदा लौटे निम के प्रशिक्षक अनिल कुमार ने बताया कि चोटी पर चढ़ने के दौरान अचानक बर्फीला तूफान शुरू हुआ हुआ जबकि उस समय दल के सदस्य चोटी से महज 100 से 150 मीटर की दूरी पर मौजूद थे.

-भारत एक्सप्रेस

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