Uttarkashi Tunnel Rescue Operation: उत्तरकाशी की सिल्क्यारा सुरंग के अंदर फंसे 40 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए पिछले 7 दिनों से रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है. 40 जिंदगियों की जान बचाने के लिए चल रहे रेस्क्यू ऑपरेशन को झटका तब लगा, जब 24 मीटर की ड्रिलिंग करने के बाद शुक्रवार चार बजे अचानक अमेरिकी मशीन ऑगर में भी तकनीकी खराबी आ गई है. इसके चलते अभी तक रेस्क्यू ऑपरेशन रुका हुआ है, जानकारी के मुताबिक मशीन की बेयरिंग खराब हो चुकी है.
40 मजदूरों की जान बचाने के लिए लंबे वक्त से जारी रेस्क्यू ऑपरेशन में रुकावट के चलते एक बार फिर टेंशन बढ़ गई हैं. जानकारी के मुताबिक अब इंदौर से एक अतिरिक्त ऑगर ब्लेड रेस्क्यू साइट पर पहुंचेगी. इस बीच एक टीम सुरंग के ऊपरी हिस्से की स्थिति का मुआयना कर रही है. इस मामले को लेकर पल-पल की स्थिति प्रधानमंत्री कार्यालय को पहुंचाई जा रही है. टनल के रेस्क्यू ऑपरेशन का काम आईटीबीपी और एनडीआरएफ के जिम्मे है.
राहत बचाव के लिए हो रही मॉक ड्रिल
इस रेस्क्यू ऑपरेशन को लेकर उत्तरकाशी के पुलिस अधीक्षक अर्पण यदुवंशी ने बताया कि पुलिस, NDRF, SDRF, ITBP, मेडिकल टीमों व अन्य डिजास्टर रिस्पांस टीमों द्वारा श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकालने व जरूरत पड़ने पर आपातालीन कवायदों को अंजाम देने के लिए मॉक ड्रिल करवाया जा रहा है. जानकारी के मुताबिक सुरंग के अंदर फंसे सभी श्रमिक सुरक्षित हैं. उनको समय-समय पर खाना-पानी व ऑक्सीजन की सप्लाई की जा रही है. साथ ही उनका मनोबल बनाए रखने के लिए परिजनों से उनकी लगातार बातचीत करवाई जा रही है. पुलिस हेल्प डेस्क से भी परिजनों से सम्पर्क साधकर पल-पल की अपडेट दी जा रही है.
#WATCH | Uttarakhand: Uttarkashi tunnel rescue | Morning visuals from the spot; relief and rescue work halted at Silkyara Tunnel
Speaking to ANI Anshu Manish Khulko, Director of the tunnel-making company NHIDCL, said that at present the drilling work in the tunnel has stopped.… pic.twitter.com/ZhNAsdAtRX
— ANI (@ANI) November 18, 2023
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कब पूरा होगा रेस्क्यू ऑपरेशन?
रेस्क्यू में लगने वाले वक्त को लेकर एसपी यदुवंशी ने कहा- यह इस बात पर निर्भर करेगा कि सुरंग के अंदर कहां तक मलबा गिरा है. फिलहाल अनुमान है कि यह टनल के मुख्य द्वार से 60 मीटर हिस्से में फैला है. हलांकि उन्होंने इसको लेकर कोई स्पष्ट समय नहीं बताया है. जानकारी के मुताबिक अमेरिकी ऑगर मशीन एक घंटे में 5 मीटर तक ड्रिलिंग कर पा रही है लेकिन चट्टानों के चलते ड्रिलिंग में भी दिक्कत हो रही है. मलबे में ड्रिल होने के बाद अंदर पाइप डालकर एलाइनमेंट फिट करने और वेल्डिंग करने में करीब डेढ़ से दो घंटे का समय लग रहा है.
-भारत एक्सप्रेस
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