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वर्चुअल कर्मचारी: कार्य, प्रभाव और सामान्य कर्मचारियों के लिए खतरा?

वर्चुअल कर्मचारी (Virtual Employees) वे कर्मचारी हैं जो तकनीक और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के माध्यम से काम करते हैं.

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वर्चुअल कर्मचारी

वर्चुअल कर्मचारी (Virtual Employees) वे कर्मचारी हैं जो तकनीक और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के माध्यम से काम करते हैं. इन्हें रोबोट, सॉफ्टवेयर प्रोग्राम, या क्लाउड-आधारित टूल्स के रूप में देखा जा सकता है. ये किसी भी प्रकार के भौतिक कार्यालय में उपस्थित नहीं होते, बल्कि रिमोट लोकेशन से ऑनलाइन काम करते हैं. इनका मुख्य कार्य डेटा एंट्री, ईमेल प्रबंधन, ग्राहक सहायता, कोडिंग, लेखन, ग्राफिक डिजाइनिंग, डिजिटल मार्केटिंग और अन्य तकनीकी या रूटीन कार्यों को पूरा करना है.

सामान्य कर्मचारियों पर प्रभाव

1. कुशलता और उत्पादकता में बढ़ोतरी:

वर्चुअल कर्मचारी तेज गति से और बिना थकान काम कर सकते हैं. इससे कंपनियों की उत्पादकता बढ़ती है और समय की बचत होती है.

2. लागत में कमी:

कंपनियां वर्चुअल कर्मचारियों का उपयोग कर वेतन, ऑफिस स्पेस, और अन्य संसाधनों की लागत बचा रही हैं.

3. मानव कार्यबल की मांग में कमी:

जहां वर्चुअल कर्मचारी काम को तेजी से और सटीकता से कर सकते हैं, वहां सामान्य कर्मचारियों की जरूरत घट रही है.

4. पारंपरिक नौकरियों पर असर:

ग्राहक सेवा, डेटा एंट्री, लेखांकन और प्रशासनिक नौकरियां अब स्वचालित होने लगी हैं, जिससे सामान्य कर्मचारियों को नौकरी से हाथ धोना पड़ सकता है.

5. नई स्किल्स की आवश्यकता:

वर्चुअल कर्मचारियों के साथ काम करने के लिए मानव कर्मचारियों को नई तकनीकी स्किल्स सीखने की जरूरत है.

क्या सामान्य लोगों के लिए नौकरी खतरे में है?

यह कहना गलत नहीं होगा कि वर्चुअल कर्मचारियों के आने से सामान्य नौकरियों पर खतरा मंडरा रहा है. खासतौर पर वे नौकरियां जो रूटीन या दोहराए जाने वाले कार्यों पर आधारित हैं.

– कम कौशल वाली नौकरियां:

सरल या दोहराव वाले कार्य जैसे डेटा एंट्री, कॉल सेंटर आदि में वर्चुअल कर्मचारियों का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है.

– तकनीकी क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा:

उच्च कौशल वाली नौकरियों में भी तकनीकी दक्षता और AI ज्ञान रखने वाले लोगों को प्राथमिकता दी जा रही है.

सरकार इस दिशा में क्या कर रही है?

सरकार ने वर्चुअल कर्मचारियों और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के बढ़ते प्रभाव को ध्यान में रखते हुए कई पहलें शुरू की हैं, ताकि मानव कर्मचारियों को नई तकनीकी युग के लिए तैयार किया जा सके:

1. स्किल डेवलपमेंट कार्यक्रम:

भारत सरकार ने प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY) और डिजिटल इंडिया जैसी योजनाओं के तहत युवाओं को AI, मशीन लर्निंग, और डेटा एनालिटिक्स जैसे क्षेत्रों में प्रशिक्षित करने के लिए विशेष कार्यक्रम शुरू किए हैं.

2. नवाचार को प्रोत्साहन:

सरकार नए तकनीकी स्टार्टअप्स को प्रोत्साहन देने के लिए वित्तीय सहायता और टैक्स लाभ प्रदान कर रही है. इससे रोजगार के नए अवसर पैदा हो रहे हैं.

3. राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020):

इस नीति के तहत स्कूली और उच्च शिक्षा में तकनीकी और डिजिटल कौशल को शामिल किया गया है, ताकि आने वाली पीढ़ी भविष्य की चुनौतियों का सामना कर सके.

4. एआई आधारित योजनाओं पर फोकस:

सरकार ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता के सुरक्षित और नैतिक उपयोग के लिए नेशनल एआई मिशन लॉन्च किया है. इसका उद्देश्य न केवल तकनीकी विकास को बढ़ावा देना है, बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि रोजगार के अवसर भी समान रूप से बनाए रखें.

5. सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP):

सरकार और निजी कंपनियां मिलकर कर्मचारियों को नए स्किल्स सिखाने के लिए ट्रेनिंग प्रोग्राम चला रही हैं.

6. रोजगार पुनर्निर्माण पर ध्यान:

मेक इन इंडिया और स्टार्टअप इंडिया जैसी योजनाओं के तहत सरकार ने रोजगार सृजन के प्रयास तेज किए हैं. इन पहलों के जरिए नए सेक्टर्स में रोजगार के अवसर बढ़ रहे हैं.

क्या समाधान हो सकता है?

1. नई स्किल्स का विकास:

कर्मचारियों को AI, मशीन लर्निंग, और डेटा एनालिटिक्स जैसी नई तकनीकों में दक्षता हासिल करनी चाहिए.

2. ह्यूमन टच की अहमियत:

ऐसे कार्य जो रचनात्मकता, समस्या-समाधान और मानवीय जुड़ाव पर आधारित हैं, वहां वर्चुअल कर्मचारी प्रतिस्थापन नहीं कर सकते.

3. केंद्रित क्षेत्रों में रोजगार:

स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, और पर्यावरण संरक्षण जैसे क्षेत्रों में नौकरियों की संभावनाएं बनी रहेंगी.

वर्चुअल कर्मचारियों और कृत्रिम बुद्धिमत्ता का आगमन कार्यक्षेत्र में क्रांति ला रहा है. हालांकि, सरकार और समाज के संयुक्त प्रयासों से यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि सामान्य कर्मचारी भी इस बदलाव में शामिल हो सकें. नई तकनीकों को अपनाने और कौशल विकसित करने से ही इस चुनौती को अवसर में बदला जा सकता है.

-भारत एक्सप्रेस 



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