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West Bengal Controversy: ममता सरकार और राज्य सरकार के बीच फिर हुआ बवाल, राज्यपाल ने कुलपति को किया था बर्खास्त, CM ने किया बहाल

West Bengal Controversy: मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और राज्यपाल सीवी आनंद बोस के बीच कुलपति को लेकर बड़ा बवाल हो गया है.

पश्चिम बंगाल के गवर्नर और मुख्यमंत्री (फाइल फोटो)

West Bengal Controversy: राज्यपाल आनंद बोस ने जादवपुर यूनिवर्सिटी के कुलपति बुद्धदेव साव को पद से हटा दिया था. वहीं 12 घंटे के अंदर ही पश्चिम बंगाल सरकार (West Bengal Governor) ने इस फैसले को पलट दिया और उन्हें अंतरिम कुलपति के रूप में बहाल कर दिया है. साव को शनिवार शाम को हटा दिया गया था. लेक‍िन राज्य शिक्षा विभाग, जो राज्य विश्वविद्यालयों में राज्यपाल द्वारा नियुक्त अंतरिम कुलपतियों के खिलाफ है, साव को हटाने के कुछ घंटों के भीतर विशेष शक्तियों के साथ बहाल कर दिया है. इसके चलते राज्य में एक नए टकराव हो गया है.

बता दें कि रविवार दोपहर को जादवपुर यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह से ठीक एक दिन पहपले साव को अंतरिम उप-कुलपत‍ि पद से हटाने के राज्यपाल के अचानक फैसले ने उस पारंपरिक समारोह के लिए भारी अनिश्चितता पैदा कर दी, क्योंकि कुलपति, अंतरिम या स्थायी, को अध्यक्षता करनी होती है. इस बीच, कोलकाता में राजभवन स्थित राज्यपाल का कार्यालय भी इस मामले पर चुप नहीं है. इसने एक अधिसूचना जारी कर दावा किया है कि साव के खिलाफ शिकायतों को लेकर जांच की जाएगी.

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इस दौरान यह भी कहा गया है कि अगर दीक्षांत समारोह की लागत वहन करने के लिए छात्रों से दान स्वीकार किया गया है, तो उतनी ही राशि अंतरिम कुलपतियों और इसके लिए जिम्मेदार अन्य लोगों के वेतन से काट ली जाएगी. रविवार को जेयू के पासआउट छात्रों को दिए जाने वाले प्रमाणपत्र पर अंतरिम कुलपति के रूप में साव के हस्ताक्षर होंगे. चूंकि राज्यपाल ने सभी राज्य विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के रूप में अपनी समानांतर कुर्सी के आधार पर साव को शनिवार शाम को उस कुर्सी से हटा दिया था, इसलिए भविष्य में रविवार को पासआउट होने वाले प्रमाणपत्रों को नए प्रमाणपत्रों से बदला जा सकता है.

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राज्यपाल ने सभी राज्य विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति होने के नाते विश्वविद्यालय के लड़कों के छात्रावास में एक नए छात्र की रैगिंग से संबंधित मौत के बाद इस साल अगस्त में साव को अंतरिम कुलपति नियुक्त किया था. साव की नियुक्ति से पहले जेयू लंबे समय तक बिना स्थायी कुलपति के नेतृत्वविहीन चल रहा था. शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु के साथ बैठक करने के बाद दीक्षांत समारोह की तारीख की घोषणा करके साव राज्यपाल की बदनामी में फंस गए.

-भारत एक्सप्रेस

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