ममता सरकार को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं.
कलकत्ता हाईकोर्ट द्वारा पश्चिम बंगाल के सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में 25,753 शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों की नियुक्ति को रद्द करने के खिलाफ पश्चिम बंगाल सरकार और अन्य की ओर से दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सितंबर में अंतिम सुनवाई करेगा. कोर्ट ने पक्षकारों को जवाब दाखिल करने के लिए 16 अगस्त तक का समय दिया है. कोर्ट 33 याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने कहा था कि यह सिस्टमैटिक फ्राॅड का मामला है.
मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अधिकारी 25,753 शिक्षकों और गैर शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्ति से संबंधित डिजिटल रेकॉर्ड बनाये रखने के लिए बाध्य हैं. कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से पेश वकील से पूछा था कि सार्वजनिक नौकरी बहुत कम है. अगर जनता का विश्वास चला गया तो कुछ नहीं बचेगा. यह व्यवस्थागत धोखाधड़ी है. सरकार नौकरियां बेहद कम है और उन्हें समाजिक गतिशीलता के रूप में देखा जाता है. अगर उनकी नियुक्तियों को भी बदनाम कर दिया जाए तो सिस्टम में क्या रह जाएगा. लोग विश्वास खो देंगे. आप इसे कैसे स्वीकार करेंगे.
कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार के पास यह दिखाने के लिए कुछ भी नहीं है कि डेटा उसके अधिकारियों द्वारा बनाए रखा गया था और इसकी उपलब्धता के बारे में पूछा गया था. कोर्ट ने राज्य सरकार के वकीलों से कहा था को या तो आपके पास देता है या आपके पास नहीं है. बता दें कि कलकत्ता हाईकोर्ट ने 22 अप्रैल को पश्चिम बंगाल के सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में 25, 753 शिक्षकों व गैर-शिक्षक कर्मचारियों की नियुक्ति को अमान्य घोषित कर दिया था. कलकत्ता हाईकोर्ट ने नियुक्तियों को रद्द करने के साथ ही सीबीआई को नियुक्ति प्रक्रिया की जांच करने और तीन महीने में एक रिपोर्ट सौंपने का भी निर्देश दिया था.
-भारत एक्सप्रेस
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