Bharat Express

क्या है रिलेटिव इंपोटेंसी? जिसके आधार पर हाई कोर्ट ने रद्द कर दी युवा दंपति की शादी

दोनों ने मार्च 2023 में शादी की थी लेकिन 17 दिन बाद ही अलग हो गए थे. दंपति ने कहा था कि उनके बीच कोई शारीरिक संबंध नहीं बने. महिला ने दावा किया कि उसके पति ने उसके साथ यौन संबंध बनाने से इनकार कर दिया.

Bombay High Court

बॉम्बे हाई कोर्ट

बंबई उच्च न्यायालय की औरंगाबाद पीठ ने एक युवा दंपति की शादी को इस आधार पर निरस्त कर दिया कि पति की रिलेटिव इंपोटेंसी के कारण विवाह बरकरार नहीं रह सकता और दंपति की हताशा को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. रिलेटिव इंपोटेंसी का मतलब ऐसी नपुंसकता से है जिसमें व्यक्ति किसी विशेष व्यक्ति के साथ यौन संबंध बनाने में असमर्थ हो सकता है, लेकिन दूसरे के साथ वह यौन संबंध बनाने में सक्षम हो सकता है. यह सामान्य नपुंसकता से अलग स्थिति होती है.

न्यायमूर्ति विभा कांकणवाड़ी और न्यायमूर्ति एस जी चपलगांवकर की खंडपीठ ने 15 अप्रैल को दिए फैसले में यह भी कहा कि यह ऐसे युवाओं की मदद करने के लिए उपयुक्त मामला है जो एक-दूसरे के साथ मानसिक, भावनात्मक या शारीरिक रूप से नहीं जुड़ पाते.

निचली अदालत ने खारिज कर दी थी याचिका

बता दें कि इस मामले में 27 वर्षीय युवक ने फरवरी 2024 में एक पारिवारिक अदालत द्वारा याचिका खारिज किए जाने के बाद उच्च न्यायालय का रुख किया था. पारिवारिक अदालत ने उसकी 26 वर्षीय पत्नी द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उसने याचिका स्वीकार करने के शुरुआती चरण में ही विवाह निरस्त करने का अनुरोध किया था.

कई वजहों से हो सकती है रिलेटिव इंपोटेंसी

उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि रिलेटिव इंपोटेंसी एक जानी-पहचानी स्थिति है और यह सामान्य नपुंसकता से अलग है. अदालत ने कहा कि रिलेटिव इंपोटेंसी की विभिन्न शारीरिक और मानसिक वजह हो सकती हैं. उच्च न्यायालय ने कहा, मौजूदा मामले में यह आसानी से पता लगाया जा सकता है कि पति को अपनी पत्नी के प्रति रिलेटिव इंपोटेंसी है. विवाह जारी न रह पाने की वजह प्रत्यक्ष तौर पर पत्नी के साथ शारीरिक संबंध बना पाने में पति की अक्षमता है.

कोर्ट ने कहा कि वह इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं कर सकता कि यह एक ऐसे युवा दंपति से जुड़ा मामला है जिसे विवाह में हताशा की पीड़ा सहनी पड़ी है. अदालत ने कहा कि व्यक्ति ने संभवत: शुरुआत में शारीरिक संबंध न बना पाने के लिए अपनी पत्नी को जिम्मेदार ठहराया क्योंकि वह यह स्वीकार करने से हिचकिचा रहा था कि वह उसके साथ फिजिकल रिलेशन बनाने में असमर्थ है.

शादी के 17 दिन बाद हो गए अलग

दोनों ने मार्च 2023 में शादी की थी लेकिन 17 दिन बाद ही अलग हो गए थे. दंपति ने कहा था कि उनके बीच कोई शारीरिक संबंध नहीं बने. महिला ने दावा किया कि उसके पति ने उसके साथ यौन संबंध बनाने से इनकार कर दिया. उसने कहा कि वे एक-दूसरे के साथ मानसिक, भावनात्मक या शारीरिक रूप से नहीं जुड़ पाए.

यह भी पढ़ें- यूक्रेन, इजराइल और ताइवान को अमेरिका की ओर से अरबों डॉलर के पैकेज को मंजूरी, युद्ध और तेज होने की आशंका

वहीं, व्यक्ति ने दावा किया कि वह अपनी पत्नी के साथ शारीरिक संबंध नहीं बना पाया लेकिन वह सामान्य स्थिति में है. उसने कहा कि वह ऐसा कोई धब्बा नहीं चाहता कि वह नपुंसक है. इसके बाद पत्नी ने एक पारिवारिक अदालत में तलाक की अर्जी दायर की. बहरहाल, पारिवारिक अदालत ने अर्जी खारिज करते हुए कहा था कि पति और पत्नी ने मिलीभगत से ये दावे किए हैं. उच्च न्यायालय ने पारिवारिक अदालत के फैसले को रद्द कर दिया और शादी को भी निरस्त कर दिया.

-भारत एक्सप्रेस



इस तरह की अन्य खबरें पढ़ने के लिए भारत एक्सप्रेस न्यूज़ ऐप डाउनलोड करें.

Also Read