उमर अब्दुल्ला ( फाइल फोटो)
Delhi Ordinance: दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के बीच ‘पावर’ की लड़ाई जारी है. अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग के मामले में केजरीवल सरकार और केंद्र सरकार के बीच ठनी हुई है. मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा. शीर्ष अदालत ने केजरीवाल को राहत देते हुए अधिकारियों के ट्रांसपर पोस्टिंग का अधिकार राज्य सरकार को दे दी. हालांकि, केंद सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ एक अध्यादेश ले आई है.
उमर अब्दुल्ला ने क्या कहा?
केंद्र सरकार के अध्यादेश के खिलाफ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल विपक्ष के सभी नेताओं से समर्थन मांग रहे हैं. इसी कड़ी में उन्होंने उमर अब्दुल्ला से भी समर्थन मांगा. इस मसले पर बात करते हुए उमर अब्दुल्ला ने एएनआई को बताया, ”मैं बार-बार इन लोगों को याद दिलाता हूं कि ये लोग जरूरत पड़ने पर हमारे दरवाजे जरूर खटखकाते हैं, लेकिन 2019 में जब 370 हटाया गया तो ये लोग किधर थे.” अब्दुल्ला ने कहा कि लोकतंत्र के हत्या पर भी केजरीवाल चुप रहे. हमारा साथ नहीं दिया. अब हमसे समर्थन मांग रहे हैं. हमारा साथ सिर्फ टीएमसी, डीएमके और लेफ्ट की पाटियों ने दिया.
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अध्यादेश में क्या है?
केंद्र के अध्यादेश के मुताबिक, दिल्ली में ट्रांसफर पोस्टिंग और विजिलेंस जैसे मामलों के लिए एक स्थाई समिति बनाई गई है. अधिकारियों की ट्रांसफर पोस्टिंग के लिए नेशनल कैपिटल सिविल सर्विस अथॉरिटी बनाई जाएगी. ये अधिकारियों का रिक्मेंडेशन राज्यपाल तक भेजेंगे.
जब सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल सरकार के हक में सुनाया था फैसला
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 11 मई को फैसला सुनाया था कि दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर पोस्टिंग का अधिकार राज्य सरकार के पास रहेगी. राज्य सरकार के पास विधायी और शासकीय शक्तियां हैं. लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाप केंद्र सरकार अध्यादेश ले आई.
-भारत एक्सप्रेस
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