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“राजनीतिक दलों को देंगे चोट, NOTA पर करेंगे वोट”, क्यों धमकी दे रहे पाकिस्तान से राजस्थान आए माइग्रेंट?

समुदाय के मुताबिक, करीब 10 विधानसभा क्षेत्रों में उनकी अच्छी-खासी आबादी है. सीमांत लोक संगठन के अध्यक्ष हिंदू सिंह सोढ़ा ने कहा कि ये प्रवासी पाकिस्तान में उत्पीड़न से बचकर और सम्मानजनक जीवन की उम्मीद में भारत आए थे.

शरणार्थी

शरणार्थी

Rajasthan Election: यह आरोप लगाते हुए कि लगातार सरकार ने राजस्थान में रहने वाले पाकिस्तानी प्रवासी समुदाय की शिकायतों को नजरअंदाज किया है. अब प्रवासियों ने राजस्थान चुनाव में नोटा को वोट देने की धमकी दी है. राजस्थान में 25 नवंबर को मतदान होना है. हालांकि समुदाय के कुछ सदस्यों को वोट देने का अधिकार है और कुछ को नहीं, लेकिन उन सभी को राजनीतिक दलों से बहुत उम्मीदें हैं. लगभग राजस्थान के 10 विधानसभा में प्रभाव रखने वाले पाकिस्तानी शरणार्थियों ने सभी राजनीतिक दलों को धमकी दी है.

2 लाख शरणार्थी वोटर

प्रवासियों के लिए काम करने वाले संगठन सीमांत लोक संगठन के अनुसार, जोधपुर, बाड़मेर, जैसलमेर और बीकानेर जिलों के विधानसभा क्षेत्रों में फैले दो लाख से अधिक समुदाय के सदस्यों को वोट देने का अधिकार है. बाड़मेर के चोहटन विधानसभा क्षेत्र में इन प्रवासियों की संख्या सबसे अधिक 50,000 है. जोधपुर में प्रवासी आबादी 18,000 है, जिनमें से लगभग 15,000 ने नागरिकता प्राप्त कर ली है.

उपेक्षित महसूस कर रहे हैं शरणार्थी

समुदाय के मुताबिक, करीब 10 विधानसभा क्षेत्रों में उनकी अच्छी-खासी आबादी है. सीमांत लोक संगठन के अध्यक्ष हिंदू सिंह सोढ़ा ने कहा कि ये प्रवासी पाकिस्तान में उत्पीड़न से बचकर और सम्मानजनक जीवन की उम्मीद में भारत आए थे, लेकिन किसी भी सरकार ने बुनियादी सुविधाओं से संबंधित उनके मुद्दों पर गंभीरता से ध्यान नहीं दिया. सोढ़ा ने कहा, “वे यहां भी खुद को उपेक्षित महसूस करते हैं लेकिन दुर्भाग्य से कोई भी पार्टी हमसे जुड़े मुद्दों पर काम नहीं कर रही है. इसलिए विरोध स्वरूप हमने इस चुनाव में नोटा का बटन दबाने का फैसला किया है.”

समुदाय की मांग है कि उनके मुद्दों को विभिन्न पार्टियों के घोषणापत्रों में शामिल किया जाए. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने पिछले चुनावों में अपने घोषणापत्र में उनके मुद्दों को शामिल किया था, लेकिन सत्ता में आने के बाद अपने वादे पूरे नहीं किए. उन्होंने कहा कि समुदाय अब भी चाहता है कि पार्टियां अपने मुद्दों को घोषणापत्र में शामिल करें क्योंकि यह “सरकार पर एक नैतिक जिम्मेदारी डालता है”.

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ये प्रवासी लगातार अपने मुद्दों के समाधान के लिए एक उचित तंत्र की मांग कर रहे हैं, सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उनके लिए एक आवासीय योजना हो. इस चुनाव में बीजेपी ने हिंदू शरणार्थियों के लिए मुख्यमंत्री शरणार्थी कल्याण योजना शुरू करने का वादा किया. पार्टी ने जोधपुर में हिंदू शरणार्थियों के लिए घर और कॉलोनियां बनाने का वादा किया था, जिसे कांग्रेस सरकार ने ध्वस्त कर दिया था.

सोढ़ा ने कहा कि अकेले जोधपुर में 18,000 लोग रहते हैं जिन्हें अभी तक भारतीय नागरिकता नहीं मिली है. वे जिले के तीन-चार इलाकों में बस गए हैं, जिनमें से ज्यादातर सूरसागर, गंगाना-झंवर रोड और मंडोर में हैं. उन्होंने कहा कि राजस्थान में ऐसे 30,000 लोग चोहटन, बाड़मेर, शेओ, जैसलमेर, कोलायत, खाजूवाला और श्रीगंगानगर सहित विभिन्न हिस्सों में रह रहे हैं.

सोढ़ा ने कहा कि जैसलमेर में रहने वाले पाकिस्तान के हिंदू प्रवासियों ने भारतीय नागरिकता वाले और बिना भारतीय नागरिकता वाले 250 परिवारों को समायोजित करने के लिए इस साल मई में जिला प्रशासन द्वारा प्रदान की गई 40-बीघा भूमि पर एक बस्ती स्थापित की. उन्होंने कहा, यह घटनाक्रम जैसलमेर में सरकारी जमीन से परिवारों को जबरन बेदखल करने और विपक्षी भाजपा के हंगामे के बाद हुआ. सोढ़ा ने कहा कि इसी तरह की एक घटना जोधपुर में हुई थी, जहां कथित तौर पर सरकारी जमीन पर प्रवासियों द्वारा स्थापित 70 घरों को धव्स्त कर दिया गया था.

-भारत एक्सप्रेस

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