
प्रतिकात्मक फोटो
PM Modi Petroleum Policy: साल 2014 के बाद से देश दुनिया में तमाम संकट आए. अभी भी कई स्थानों पर जंग चल रही है. इसके बाद भी भारत में किसी भी तरह से ऊर्जा की कमी नहीं आई है. केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने हाल ही में तेल और गैस क्षेत्र में सरकार की उल्लेखनीय उपलब्धियों की चर्चा की है. उन्होंने बताया कि भारत में कभी भी पेट्रोलियम उत्पादों की कमी नहीं हुई, चाहे वह वैश्विक कोविड महामारी का दौर रहा हो या कोई अंतर्राष्ट्रीय संघर्ष का समय हो. ऐसा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों के कारण संभव हो पाया है.
हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि रूप से मध्य पूर्व में बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव का उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि इजरायली-ईरान संघर्ष के दौरान दौरान शिपिंग बाधित हुई और दुनिया के 20 प्रतिशत तेल और गैस निर्यात का मुख्य मार्ग, स्ट्रेट ऑफ होर्मुज को बंद करने की धमकियां मिलीं. हालांकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, भारत ने अपनी आपूर्ति में विविधता लाई है और रणनीतिक भंडार के माध्यम से अपनी लचीलेपन को मजबूत किया है.
तेल और गैस क्षेत्र में मील के पत्थर
पुरी ने तेल और गैस क्षेत्र में हासिल किए गए महत्वपूर्ण लक्ष्यों पर भी चर्चा की है. उन्होंने बताया कि देश में अब 23 आधुनिक परिचालन रिफाइनरियां हैं जिनकी कुल क्षमता 257 मिलियन मीट्रिक टन प्रति वर्ष है. ये पेट्रोलियम उत्पादों का उत्पादन करती हैं. रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार के लिए भंडारण सुविधाओं की स्थापना की गई है.
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20 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रण
20 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रण को लेकर उन्होंने कहा कि भारत ने हरित ईंधन को बढ़ावा देने के देश के अभियान को चलाया और लक्ष्य को हासिल किया. अब सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के सभी खुदरा बिक्री केन्द्रों पर ई20 इथेनॉल-मिश्रित पेट्रोल वाहनों के लिए उपलब्ध कराया जा रहा है. भारत की इस नीति के कारण न केवल देश के कार्बन उत्सर्जन में कमी आई है, बल्कि भारी मात्रा में पैसे की भी बचत हुई है. इससे देश के पैसे बच रहे हैं जो किसानों को उपलब्ध कराया जा रहा है.
- 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक की बचत हुई है
- 1.5 लाख करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा बची है
तो इस कारण भारत में नहीं हुई कमी
मोदी सरकार द्वारा भंडारण और इथेनॉल मिश्रण को लेकर उठाया गया कदम ऊर्जा नीति में यह एक महत्वपूर्ण है. इससे देश ऊर्जा सुरक्षा और आत्मनिर्भरता की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है. इन्हें फैसलों का असर है जब तेल टैंकरों और जहाजों पर बैन लग रहा था या फिर उनका ट्रांसपोटेशन बाधित हो रहा तो कई देशों में तेल के दाम तेजी से बढ़ गए थे. हालांकि, भारत को इन समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ा क्योंकि हमारे देश में पहले से ही भंडारण की उचित व्यवस्था हो गई थी.
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