चांद पर पहुंचे, सूर्य से मिलाई आंखें, अब स्पेस में अपना ‘घर’ बनाएगा भारत
Wipro: कारोबार की दुनिया में अजीम प्रेमजी न सिर्फ एक बड़ा नाम है, बल्कि भारत का बेहद ही सम्मानित चेहरा भी हैं. आईटी कंपनी विप्रो (Wipro) के मालिक अजीम प्रेमजी आज 78 साल के हो चुके हैं. लेकिन, इस उम्र में भी वह व्यापार के जरिए भारत को मजबूती दे रहे हैं और साथ ही साथ लोकहित में बहुत सारे दान-पुण्य करते रहते हैं. साल 2021-22 में उन्होंने 484 करोड़ रुपये का दान दिया था. विश्व के दानी लोगों में उनका काफी नाम है. साबुन-तेल बेचने वाली उनकी कंपनी आज की तारीख में दुनिया की टॉप आईटी कंपनियों में शुमार है. स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग करने वाले अजीम प्रेमजी को भारत सरकार ने पद्म भूषण और पद्म विभूषण सम्मान से भी नवाजा है.
अजीम प्रेमजी के खानदान का ताल्लुक बर्मा (Myanmar) से है. 24 जुलाई 1945 को इनका जन्म बर्मा में हुआ था. उस दौरान उनके पिता हुसैन हाशिम प्रेमजी वहां चावल के बहुत बड़े व्यापारी थे और उन्हें ‘राइस किंग’ के नाम से जाना जाता था. लेकिन, अंग्रेजी हुकूमत के कुछ नियमों के चलते हुसैन हाशिम प्रेमजी को अपना करोबार बंद करना पड़ा. 1945 में ही उन्हें अपना कारोबार बर्मा से समेटना पड़ा और वह मुंबई से 350 किलोमीटर दूर अमलनेर पहुंचे. दरअसल, वो यहां एक वनस्पति घी के मालिक के यहां अपने बकाया पैसे लेने पहुंचे थे. वनस्पति घी के मालिक के पास एक मिल थी और उसने हुसैन हाशिम से कर्ज लिए थे. मुनाफा नहीं होने और भारी कर्ज तले व्यापारी ने हुसैन हाशिम से मिल खरीद लेने का ऑफर दिया. यहीं से हुसैन हाशिम प्रेमजी का कारोबार बदल गया और वह वनस्पति तेल के व्यापार में उतर गए.
अजीम प्रेमजी के पिता ने 29 दिसंबर 1945 में ‘वेस्टर्न इंडिया वेजिटेबल प्रोडक्ट्स लिमिटेड’ नाम से कंपनी बनाई और देखते ही देखते इस कंपनी ने अपना प्रभुत्व मार्केट में जमा लिया. यह वही दौर था जब हिंदुस्तान के बंटवारे की मुहिम जोर पकड़ रही थी. दो साल बाद ही भारत का बंटवारा हो गया और मोहम्म अली जिन्ना के नेतृत्व में पाकिस्तान नाम से अलग देश बना. पाकिस्तान बनने के बाद मोहम्मद अली जिन्ना ने हुसैन हाशिम प्रेमजी को पाकिस्तान आने को कहा. उन्होंने खास पर पर उन्हें पाकिस्तान का वित्त मंत्री बनने का ऑफर भी दिया. लेकिन, अजीम प्रेमजी के पिता ने जिन्ना का यह ऑफर ठुकरा दिया और हिंदुस्तान में ही रहकर कारोबार को आगे बढ़ाने का फैसला किया.
पिता के निधन के बाद मात्र 21 साल के उम्र में अजीम प्रेमजी ने कंपनी की कमान संभाली. वेजिटेबल ऑयल के साथ-साथ साबुन के कारोबार को भी इन्होंने खूब ऊंचाई दी. साल 1980 में प्रेमजी ने अमेरिकन कंपनी सेंटिनल कंप्यूटर कॉरपोरेशन के साथ मिलकर एक आईटी कंपनी बनाई. कंपनी पर्सनल कंप्यूटर बनाने के साथ-साथ सॉफ्टवेयर सर्विसेज भी मुहैया कराने लगी. बाद में इस कंपनी का नाम बदलकर विप्रो रख दिया गया.
आज की तारीख में अजीम प्रेमजी ने अपना सारा कारोबार अपने बेटे के नाम कर दिया है. 2019 में उन्होंने 52,750 करोड़ रुपये का अपना शेयर ‘अजीम प्रेमजी फाउंडेशन’ को दान कर दिया. फाउंडेशन के मुताबिक 2019 प्रेमजी की ओर से कुल 21 अरब डॉलर (1, 45,000 करोड़ रुपये) का दान किया गया.
इसके अलावा वित्त वर्ष 2020-21 में अजीम प्रेमजी ने रोजाना 27 करोड़ रुपये का दान किया. इस साल में उन्होंने शिव नाडर और मुकेश अंबानी से तकरीबन दोगुना दान किया. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक आज की तारीख में अजीम प्रेमजी दुनिया के 5वे सबसे अमीर व्यक्ति हैं.
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