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योगी सरकार ने यूपी को 2027 तक बाल श्रम मुक्त बनाने का लिया संकल्प, अब तक 10,336 बाल श्रमिकों की पहचान

योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश को 2027 तक बाल श्रम मुक्त बनाने का लक्ष्य तय किया है. अब तक 10,336 बाल श्रमिकों की पहचान और 12,426 बच्चों का पुनर्वासन कर उन्हें शिक्षा से जोड़ा गया है.

CM Yogi

सीएम योगी आदित्यनाथ.

Prashant Rai Edited by Prashant Rai

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बाल श्रम के विरुद्ध निर्णायक अभियान की शुरुआत हो चुकी है. योगी सरकार ने वर्ष 2027 तक प्रदेश को बाल श्रम से पूरी तरह मुक्त करने का लक्ष्य तय करते हुए बहुआयामी योजनाओं को जमीन पर उतार दिया है. जागरूकता से लेकर शिक्षा और पुनर्वासन तक, हर स्तर पर ठोस प्रयास किए जा रहे हैं, ताकि बचपन को मजबूरी नहीं, अवसर मिल सके.

योगी सरकार का यह अभियान अब सिर्फ सरकारी फाइलों तक सीमित नहीं है, बल्कि हर गांव, हर गली तक पहुंच चुका है, जहां बचपन मुस्कुरा रहा है और भविष्य आकार ले रहा है. बाल श्रम की रोकथाम के लिए 12 जून को अंतर्राष्ट्रीय बाल श्रम निषेध दिवस के माध्यम से विशेष जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाने का प्रस्ताव है. इन कार्यक्रमों के माध्यम से समाज को यह संदेश दिया जाएगा कि बच्चों का स्थान केवल स्कूल में है, श्रम में नहीं. इसके लिए विभिन्न विभागों के माध्यम से समन्वय बनाकर जागरूकता अभियान को धार दी जाएगी.

बच्चों के परिवारों को भी सरकार ने अकेला नहीं छोड़ा

योगी सरकार के प्रयासों से अब तक 10,336 बाल श्रमिकों की पहचान की जा चुकी है. वर्ष 2017-18 से 2024-25 तक 12,426 बाल श्रमिकों का शैक्षिक पुनर्वासन कराया गया है, ताकि ये बच्चे फिर से विद्यालय में जाकर एक नई शुरुआत कर सकें. यही नहीं, इन बच्चों के परिवारों को भी सरकार ने अकेला नहीं छोड़ा. कुल 1,089 परिवारों को आर्थिक पुनर्वासन के जरिए सहायता दी गई है, ताकि वे मजबूरीवश अपने बच्चों से काम न करवाएं.

यही नहीं, योगी सरकार द्वारा संचालित ‘बाल श्रमिक विद्या योजना’ के अंतर्गत दो हजार कामकाजी बच्चों को स्कूलों में दाखिला दिलाया गया है और उन्हें आर्थिक सहायता भी प्रदान की गई, जिससे उनके पढ़ाई के रास्ते में कोई बाधा न आए. यह योजना न केवल शिक्षा को बढ़ावा देती है, बल्कि सामाजिक दृष्टिकोण को भी बदलने का काम कर रही है.

बंधुआ मजदूरी के खिलाफ सरकार ने सख्त रुख अपनाया

इसके अलावा, बंधुआ मजदूरी के खिलाफ भी सरकार ने सख्त रुख अपनाया है. वर्ष 2017-18 से 2024-25 तक कुल 1,408 बंधुआ श्रमिकों का पुनर्वासन कर उन्हें 1,817.21 लाख रुपए की आर्थिक सहायता दी गई है. यह प्रयास उन्हें स्वतंत्र और गरिमामय जीवन की ओर ले जाने में एक बड़ा कदम साबित हो रहा है.

श्रम कल्याण परिषद के माध्यम से संगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए आठ कल्याणकारी योजनाएं संचालित की जा रही हैं. इनके संचालन के लिए सरकार ने 40 करोड़ रुपए की कॉर्पस निधि उपलब्ध कराई है. वर्ष 2024-25 में अब तक 309 श्रमिकों को 1.32 करोड़ रुपए की सहायता देकर राहत पहुंचाई जा चुकी है.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के स्पष्ट निर्देश हैं कि बचपन से बड़ा कोई भविष्य नहीं होता, और बच्चों से बड़ा कोई निवेश नहीं. इसी सोच के तहत सरकार प्रदेश के हर बच्चे को बाल श्रम से मुक्त कर शिक्षा, सुरक्षा और सम्मान की दिशा में अग्रसर कर रही है.

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-भारत एक्सप्रेस



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