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स्वदेशी युद्धपोत आईएनएस विक्रांत नौसेना के बेड़े में शामिल

नई दिल्ली- स्वदेश निर्मित युद्धपोत आईएसएस विक्रांत आज बाकायदा नौसेना के बेड़े में शामिल हो गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के आईएनएस विक्रांत राष्ट्र को समर्पित कर दिया. इसके साथ ही प्रधानमंत्री मोदी ने नौसेना के नए निशान का भी अनावरण किया. विक्रांत के अनावरण के मौके पर पीएम मोदी ने कहा कि विक्रांत भारत के पराक्रम का प्रतीक है और इससे देश में भरोसा पैदा हुआ है. ये विकसित राष्ट्र की दिशा में भारत का पहला कदम है.

इस पोत को भारतीय नौसेना के इन-हाउस वॉरशिप डिजाइन ब्यूरो ने डिजाइन किया है. इसका निर्माण कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड ने किया है.  शिपिंग और जलमार्ग मंत्रालय ने आईएनएस विक्रांत को अत्याधुनिक ऑटोमेशन सुविधाओं लैस किया है. विक्रांत भारत के समुद्री इतिहास में निर्मित अब तक का सबसे बड़ा जहाज है.

विक्रांत के निर्माण के बाद अब भारत के पास दो ऑपरेशनल एयरक्राफ्ट कैरियर हो गये हैं जो देश की समुद्री सुरक्षा को मजबूत करेंगे. यह पोत 262 मीटर लंबा और लगभग 45,000 टन वजन का है.

नौ सेना के वाइस एडमिरल हम्पीहोली ने बताया कि विक्रांत पर 30 एयरक्रॉफ्ट तैनात हो सकते हैं. इसके अलावा इससे मिग 29 के फाइटर जेट भी उड़ान भरके एंटी-एयर, एंटी-सरफेस और लैंड अटैक में भूमिका निभा सकता है. इससे Kamov 31 हेलिकॉप्टर भी उड़ान भर सकता है

विक्रांत के निर्माण के साथ साथ भारत उन चुनिंदा देशों के समूह में शामिल हो गया है जिनके पास स्वदेशी रूप से विमानवाहक पोत के डिजाइन और निर्माण की क्षमता है.

 

जहाज कुल 88 मेगावाट बिजली की चार गैस टर्बाइनों द्वारा संचालित है और इसकी अधिकतम गति 28 समुद्री मील है. लगभग 20,000 करोड़ रुपये की कुल लागत से इसका निर्माण किया गया है. जहाज के निर्माण का काम 2005 में शुरु हुई थी.

-आईएएनएस/भारत एक्सप्रेस

 

 

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