आजम खान के समर्थन में उतरे जयंत चौधरी
सपा के वरिष्ठ नेता आजम खान की हेट स्पीच के मामलें में विधायकी अब जा चुकी है. नेता जी अब विधायक से पूर्व विधायक हो चुके हैं. लेकिन उनकी विधायकी जाने के बाद उनके समर्थन में कई राजनीतिक पार्टी के नेता मैदान में उतर आए हैं. राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) के अध्यक्ष जयंत चौधरी ने एक मामले में बीजेपी के नेता विक्रम सैनी की विधायकी ना जाने पर सवाल उठाए हैं.
2019 लोकसभा के दौरान एक रैली में आजम खान ने पीएम मोदी और जिले के डीएम का नाम लेते हुए भड़काऊ भाषण दिया था. जिसपर एमपी-एमएलए कोर्ट ने हाल ही में उन्हें 3 साल की सजा सुनाई और विधायकी से उन्हें हटाने का फरमान भी जारी किया. इसके बाद उत्तर प्रदेश के विधानसभा स्पीकर सतीश महाना ने उनकी विधायकी रद्द कर दी.
आजम खान की विधानसभा सदस्यता खत्म करने के विरोध में जयंत चौधरी ने विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना को पत्र लिखा है. जयंत ने बीजेपी के MLA विक्रम सैनी को घेरते हुए विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना को पत्र लिखकर पूछा है कि अभी तक विक्रम सैनी की सदस्यता क्यों नहीं रद्द की गई.
उन्होंने कहा कि जब दो साल की सजा होने पर विधायकी खत्म होने का प्रावधान है, तो विधानसभा अध्यक्ष ने जितनी जल्दबाजी आजम खान की रामपुर विधानसभा की सीट खाली करने में दिखाई, उतनी ही तत्परता मुजफ्फरनगर के खतौली से बीजेपी विधायक विक्रम सैनी की सदस्यता खत्म करने में क्यों नहीं दिखाई ?
दरअसल 2013 मुजफ्फनगर दंगों के मामले में बीजेपी के विधायक विक्रम सैनी को एमपी-एमएलए कोर्ट ने 11 अक्टूबर 2022 को जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत दो साल की सजा सुनाई थी. जयंत का आरोप है कि इस मामले में उनकी अभी तक विधायकी नहीं गई है. जयंत चौधरी ने कानून के न्याय के तौर-तरीकों पर सवाल उठाते हुए कहा कि, मेरा सवाल यह है कि, सत्ताधारी दल और विपक्ष के विधायक के लिए कानून की व्याख्या अलग-अलग तरीके से की जा सकती है ? यह सवाल तब तक अस्तित्व में रहेगा, जब तक आप बीजेपी विधायक के मामले में ऐसी ही पहलकदमी नहीं लेते.”
-भारत एक्सप्रेस
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