डॉक्टर चंद्रशेखर यादव की सच्ची कहानी
सपने कई तरह के होते हैं, एक वो जो हम नींद में देखते है और दूसरे वो जो हम खुली आंखों से देखते हैं और एक जिनके लिए हम सबकुछ कर देना चाहते हैं. आज हम आपको एक ऐसी सच्ची कहानी बताने जा रहे हैं, जिसे आपने कभी महसूस भी नहीं किया होगा. हम बात कर रहे हैं एक ऐसे इंसान की जिन्होंने 5वीं कक्षा में एक सपने को चुना और उस सपने को पूरा भी किया.
मशहूर डॉ चंद्रशेखर यादव की कहानी
हम बात कर रहे हैं, मशहूर डॉ चंद्रशेखर यादव के बारे में वो एक ऐसे शख्स हैं जिनका नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज है, उन्होंने खुद समाज सेवा के तौर पर केवल लेह सिटी में ही 275 ऑपरेशन किये हैं. डॉ चंद्रशेखर यादव न केवल एक संयुक्त प्रतिस्थापन सर्जन के रूप में जाने जाते हैं, बल्कि इसके अलावा वो बहुत कुछ समाज की सेवा कर रहे हैं. 2015 में उन्हें डॉ बी.सी. जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जिनमें रॉय पुरस्कार और यश भारती पुरस्कार शामिल हैं. लेकिन उनका सफर इतना आसान नहीं था. जब वे कक्षा V में थे, तब उनकी माँ को रूमेटाइड अर्थराइटिस हो गया था. उसी दौरान उनकी मां ने उनसे कहा, “बेटा, क्यों न तुम भविष्य में डॉक्टर बनो और मेरा इलाज करो” जिसके बाद उन्होंने अपना मन बना लिया.
वो अक्सर अपने हस्ताक्षर वाले बयान का उपयोग करते हैं “अगर एक भी सांस बाकी है, तो मैं ज्वार को बदल दूंगा”
डॉ. यादव हमेशा चिकित्सा विज्ञान में अवैध कदाचार के खिलाफ खड़े रहे हैं.
कोविड के दौरान उन्होंने 32 विभिन्न देशों के 903 प्रतिभागियों के साथ दुनिया का पहला कैडवेरिक वेबिनार भी आयोजित किया.
उन्होंने लेह में 275 ऑपरेशनों के लिए लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड प्राप्त किया है.
क्या है अनसंग इंडिया फाउंडेशन ?
अनसंग इंडिया एक ऐसा मंच है जो उन भारतीयों के बारे में वास्तविक जीवन के नायकों की कहानियों को सामने लाता है जिन्होंने अपनी सूक्ष्मता साबित की है और वैश्विक पदचिह्न छोड़े हैं और भारत के लिए एक जगह बनाई है. हम प्रेरणा की तलाश में इंस्टाग्राम रीलों और YouTube वीडियो के माध्यम से स्क्रॉल करते हैं, एक ऐसी कहानी जो आपको उस लक्ष्य की ओर ले जा सकती है जिसे आपने पीछे की सीट पर धकेल दिया है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि असल जिंदगी के हीरो कैसे दिखते हैं? वे टोपी नहीं पहनते हैं और हो सकता है कि मेट्रो में आपके बगल में बैठे पुरुष या महिला ने देश को गौरवान्वित किया हो लेकिन ग्लैमर की कमी उनकी कहानी को भूलने योग्य बना देती है. हमारा लक्ष्य ऐसी कहानियां लाना है जो आपकी आत्मा को उत्तेजित कर सकें और सार्थक बदलाव ला सकें.
-भारत एक्सप्रेस
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