Bharat Express

जानिए क्या है हिमाचल चुनाव का इतिहास ? 70 साल में सबसे ज्यादा किसकी सरकार ने किया राज

हिमाचल चुनाव का इतिहास

हिमाचल प्रदेश में चुनाव प्रचार थम चुका है. पहाड़ी राज्य में  12 नवंबर को नई सरकार चुनने के लिए मतदान होगा और 8 दिसंबर को परिणाम घोषित होंगे.  हिमाचल प्रदेश में कल विधानसभा चुनाव होना हैं.  जहां 68 सीटों पर कुल 412 प्रत्याशी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं.

सरकार बनाने के लिए किसी भी राजनीतिक दल को 35 सीटों की जरूरत होगी. पिछली बार यानी 2017 में भारतीय जनता पार्टी ने 44 सीटों पर जीत हासिल करके सरकार बनाई थी. तब कांग्रेस को 21, सीपीएम को एक सीट पर जीत मिली थी. दो सीटें अन्य के खाते में गईं थीं.

दरअसल, हिमाचल प्रदेश को अब तक प्रदेश के छह अलग-अलग मुख्यमंत्री मिल चुके हैं. इनमें सबसे ज्यादा कांग्रेस ने सूबे पर राज किया. आज हम आपको प्रदेश में चुनाव का पूरा इतिहास बताएंगे. कब-कब चुनाव हुए और किस पार्टी ने जीत हासिल की? कौन सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहा?

1952 में हुए थे पहले चुनाव

आजादी के बाद 15 अप्रैल 1948 को  हिमाचल प्रदेश चीफ कमिश्नर के राज्यों के रूप में अस्तित्व में आया.  26 जनवरी 1950 को जब देश गणतंत्र बना तब हिमाचल प्रदेश को ‘ग’ श्रेणी के राज्य का दर्जा मिला. 1952 में राज्य में पहली बार चुनाव हुए.

तब सूबे में 36 विधानसभा सीटें थी

मैदान में कांग्रेस के अलावा किसान मजदूर प्रजा पार्टी, शेड्यूल कास्ट फेडरेशन के उम्मीदवार खड़े थे. कांग्रेस ने 35 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे. उसे 24 सीट पर जीत मिली. किसान मजदूर पार्टी के 22 प्रत्याशी मैदान में थे और तीन विधायक चुने गए. शेड्यूल कास्ट फेडरेशन के एक और आठ निर्दलीय प्रत्याशियों ने जीत हासिल की. कांग्रेस के यशवंत सिंह परमार हिमाचल प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री बने. 1956 तक यानी चार साल 237 दिन उन्होंने सूबे की कमान संभाली.इसके बाद विधानसभा भंग करके हिमाचल प्रदेश को केंद्र शासित राज्य बना दिया गया. ये दर्जा 1963 तक रहा.

बाद में फिर इसे विधानसभा के साथ केंद्र शासित राज्य का दर्जा मिला. तब पहले केंद्र शासित राज्य में भी यशवंत सिंह परमार ही मुख्यमंत्री बने. उन्होंने एक जुलाई 1963 से चार मार्च 1967 तक केंद्र शासित राज्य के मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी संभाली.

1967 में 60 विधानसभा क्षेत्रों वाली विधानसभा में चुनाव हुआ.  सरकार बनाने के लिए 31 सीटों की जरूरत थी.  कांग्रेस ने 34 सीटों पर जीत हासिल की. भारतीय जनसंघ ने हिमाचल में पहली बार चुनाव लड़ा और सात पर विजय मिली. दो सीटें कम्युनिस्ट पार्टी के खाते में गए, जबकि स्वतंत्र पार्टी का एक उम्मीदवार चुनाव जीत गया. 16 निर्दलीय प्रत्याशी विधायक चुने गए थे.

यशवंत सिंह परमार तीसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री बने. परमार 1977 तक इस पद पर रहे.इस बीच, 1971 में हिमाचल प्रदेश को वापस पूर्ण राज्य का दर्जा मिला. इसके बाद 1972 में हुए विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस को ही जीत मिली. 1972 में 68 सीटों पर हुए चुनाव में कांग्रेस के 53 प्रत्याशी जीते. भारतीय जनसंघ के पांच, लोकराज पार्टी हिमाचल प्रदेश के दो, सीपीआई (एम) के एक और सात निर्दलीय प्रत्याशियों ने भी जीत हासिल की.

BJP और कांग्रेस दोनों को मिली थी 31-31 सीटें

हिमाचल प्रदेश में 1998 का चुनाव काफी रोचक हो गया था. तब 68 सीटों पर हुए चुनाव में BJP और कांग्रेस के बीच टाई की स्थिति हो गई. दोनों ही पार्टियों ने 31-31 सीटों पर जीत हासिल की. मतलब दोनों को ही बहुमत हासिल नहीं हो पाया था. बहुमत के लिए 35 सीटों की जरूरत थी.

हालांकि, तब भारतीय जनता पार्टी सरकार बनाने में कामयाब हुई थी. BJP ने हिमाचल विकास कांग्रेस के साथ गठबंधन कर लिया.  हिमाचल विकास कांग्रेस के पांच विधायकों के बल पर प्रेम कुमार धूमल मुख्यमंत्री बन गए. हिमाचल प्रदेश में BJP पहली बार 1982 में चुनाव लड़ी थी. तब पार्टी के 29 विधायक चुने गए थे. इसके पहले 1967 और 1972 में भारतीय जनसंघ जबकि 1977 में जनता पार्टी ने कांग्रेस को टक्कर दी थी.

सबसे लंबे समय तक CM रहे वीरभद्र, दूसरे नंबर पर परमार
हिमाचल प्रदेश में सबसे ज्यादा कांग्रेस का ही राज रहा है. इसमें सबसे ज्यादा समय तक CM रहने का रिकॉर्ड वीर भद्र सिंह के नाम दर्ज है. वीर भद्र सिंह 21 साल से ज्यादा समय तक सूबे के मुख्यमंत्री रहे. उन्हें पांच बाद हिमाचल प्रदेश के मुखिया बनने का मौका मिला.

इसके पहले कांग्रेस के यशवंत सिंह परमार 18 साल से अधिक समय तक हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे.  वीरभद्र सिंह की तरह ही यशवंत सिंह भी पांच बार राज्य के मुख्यमंत्री रहे. इन दोनों के अलावा ठाकुर राम लाल तीन बार, शांता कुमार और प्रेम कुमार धूमल ने दो-दो बार राज्य की कमान संभाली. इसके अलावा दो बार राज्य में राष्ट्रपति शासन भी लगा.

-भारत एक्सप्रेस



इस तरह की अन्य खबरें पढ़ने के लिए भारत एक्सप्रेस न्यूज़ ऐप डाउनलोड करें.

Also Read