एनजीटी ने मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 10 हाथियों की रहस्यमयी मौत के मामले में स्वतः संज्ञान लिया है. ट्रिब्यूनल ने मध्य प्रदेश के मुख्य वन संरक्षक, मुख्य वन्यजीव संरक्षक, उमरिया के जिला मजिस्ट्रेट, भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (बरेली), वन्यजीव संस्थान (देहरादून) और कृषि मंत्रालय को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. एनजीटी 23 दिसंबर को इस मामले में अगली सुनवाई करेगा.
एनजीटी ने मीडिया में छपी खबर के आधार पर यह संज्ञान लिया है. जिसमें लिखा हुआ था “मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ में हाथियों की मौत के पीछे कोदो जहर का हाथ, शीर्षक वाली खबर के आधार पर मामले का स्वतः संज्ञान लेने का फैसला किया, जिसमें इस बात पर जोड़ दिया गया कि कोदो बाजरा का प्रदूषण न केवल हाथियों के लिए बल्कि पशुधन और संभावित रूप से मनुष्यों के लिए भी गंभीर खतरा पैदा करता है, जो प्रभावित अनाज का सेवन करते है या उसके संपर्क में आते है.”
एनजीटी ने कहा है कि ऐसी घटनाएं पर्यावरण मानदंडों के सख्त प्रवर्तन की आवश्यकता को उजागर करती है और वन संरक्षण अधिनियम 1980 और पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 सहित प्रमुख कानूनों का उल्लंघन हो सकती है.
बता दें कि जबसे हाथियों की मौत हुई है तबसे लगातार लोगों का अलग-अलग बयान देखने को मिल रहा है. किसानों की माने तो उनका मानना है कि कोदो खाने से जब इंसान, मवेशी नही मरते तो बुद्धिमान कभी नही मर सकता है. वही, कृषि विभाग ने बताया है कि अगर कोदो फसल में फंगस लगी थी तो यह बात वन विभाग ने नही बताई. जबकि पशु चिकित्सा विभाग के डॉक्टर का मानना है कि तमाम रिपोर्ट में हाथियों की मौत कोदो खाने से होना बताया जा रहा है, लेकिन हाथी का मरना संशय पैदा कर रहा है.
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-भारत एक्सप्रेस
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