
राऊज एवेन्यु कोर्ट ने पूर्व कोयला राज्य मंत्री संतोष कुमार बागरोडिया, राज्यसभा के पूर्व सदस्य विजय दर्डा एवं अन्य को कोयला घोटाला मामले की जांच को प्रभावित करने के वर्ष 2017 के आरोप से मुक्त कर दिया है. राऊज एवेन्यू कोर्ट के विशेष न्यायाधीश अरुण भारद्वाज ने कहा कि बागरोडिया, दर्डा, उनके बेटे और लोकमत मीडिया समूह के प्रबंध निदेशक देवेंद्र दर्डा तथा सीबीआई के पूर्व अतिरिक्त कानूनी सलाहकार (एएलए) के. सुधाकर के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं.
सीबीआई ने आरोप लगाया था कि उसके पूर्व निदेशक स्व. रंजीत सिन्हा एवं सुधाकर ने दर्डा पिता-पुत्र और बागरोडिया के साथ मिलकर आपराधिक षडय़ंत्र रचा और फाइलों पर लिखने समेत रिकार्ड तैयार किया. उसका उद्देश्य यह था कि उनके कायरे से दर्डा पिता-पुत्र और बागरोडिया कानूनी सजा से बच जाएं.
कोर्ट ने सभी आरोपियों को आरोपों से किया मुक्त
न्यायाधीश ने कहा कि देवेन्द्र दर्डा का रंजीत सिन्हा के साथ मुलाकात करने से नतीजे पर कोई फर्क नहीं पड़ा. दर्डा को आरोपमुक्त किया जाता है. उन्होंने यह भी कहा कि रंजीत सिन्हा ने देवेन्द्र दर्डा के खिलाफ मामले को दबाने के लिए अपने पद का दुरुपयोग नहीं किया. सीबीआई के निदेशक ने एएलए के. सुधाकर की राय का पालन किया होता तो देवेन्द्र दर्डा को दोषमुक्त कर दिया होता. सिन्हा ने देवेन्द्र दर्डा का कोई पक्ष नहीं लिया.
विजय दर्डा को आरोप मुक्त करते हुए न्यायाधीश ने कहा कि यदि कोई आपराधिक षडय़ंत्र हुआ होता तो सीबीआई के निदेशक एएलए के. सुधाकर की राय का पालन करते और उन्हें दोषमुक्त कर देते. रंजीत सिन्हा की ओर से विजय दर्डा और देवेंद्र दर्डा के खिलाफ जांच को बाधित करने के लिए पद का दुरुपयोग करने की कोई साजिश नहीं की गई थी.
न्यायाधीश ने सुधाकर को आरोपमुक्त करते हुए कहा कि सिन्हा के मामले के विपरीत ऐसा कोई आरोप नहीं है कि वह दर्डा पिता-पुत्र या संतोष बागरोडिया से मिले थे या उनसे टेलीफोन पर बातचीत की थी.
-भारत एक्सप्रेस
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