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The Amazing Resurrection of the Dire Wolf: 10,000 साल बाद जेनेटिक इंजीनियरिंग से फिर से जिंदा हुए विलुप्त भेड़िए

10,000 साल बाद विलुप्त डायर वुल्फ का पुनरुत्थान हुआ! रोमुलस और रेमस कोलोसल बायोसाइंसेज द्वारा जेनेटिक एडिटिंग से वापस लाए गए. ये पिल्ले अपने आकार और व्यवहार में असाधारण हैं.

Dire Wolf

अब से 10,000 साल पहले विलुप्त हो चुके डायर वुल्फ की गर्जना फिर से सुनाई दे रही है. मिलिए रोमुलस और रेमस से, ये दुनिया के पहले विलुप्त जानवर हैं जिन्हें 1 अक्टूबर 2024 को जेनेटिक इंजीनियरिंग के माध्यम से पुनर्जीवित किया गया है.

कोलोसल बायोसाइंसेज के वैज्ञानिकों ने जेनेटिक एडिटिंग तकनीक का उपयोग करके डायर वुल्फ को वापस जीवन दिया. इस प्रक्रिया में 11,500 और 72,000 साल पुराने जीवाश्मों से प्राप्त प्राचीन डीएनए का सावधानीपूर्वक विश्लेषण किया गया और पूर्ण डायर वुल्फ जीनोम को पुनर्निर्मित किया गया.

कंपनी ने बताया कि उनका उद्देश्य पहली बार CRISPR तकनीक का सफलतापूर्वक उपयोग करके विलुप्त प्रजातियों को वापस लाने वाली कंपनी बनना है. रोमुलस और रेमस अब पिल्लों की तरह खेल रहे हैं, लेकिन उनकी विशेषताएं सामान्य पिल्लों से बिल्कुल अलग हैं.

असाधारण आकार और व्यवहार

ये बर्फ जैसे सफेद छह महीने के पिल्ले अपने आकार में असाधारण हैं. वे पहले से ही लगभग 4 फीट लंबे और 80 पाउंड (36.28 किग्रा) के हैं. पूर्ण विकसित होने पर ये 6 फीट लंबे और 150 पाउंड (68 किग्रा) के हो सकते हैं.

उनका व्यवहार जंगली भेड़ियों जैसा है; वे लोगों से दूरी बनाए रखते हैं और किसी के पास आने पर पीछे हट जाते हैं. यहां तक कि उनके हैंडलर, जिन्होंने उन्हें जन्म से पाला है, उनके पास आने में भी झिझकते हैं.

डायर वुल्फ का इतिहास और पुनरुत्थान

डायर वुल्फ कभी अमेरिका के वेनेजुएला के दक्षिण से कनाडा के उत्तर तक फैले क्षेत्र में घूमते थे, लेकिन पिछले 10,000 वर्षों से उनका अस्तित्व नहीं देखा गया था. कोलोसल के वैज्ञानिकों ने सामान्य ग्रे वुल्फ के जेनेटिक कोड को डायर वुल्फ के साथ मिलाकर नए जीन बनाए.

इस प्रक्रिया में घरेलू कुत्तों को सरोगेट माताओं के रूप में उपयोग किया गया, जिससे रोमुलस, रेमस और खलीसी का जन्म हुआ. खलीसी दो महीने की है और रोमुलस व रेमस की बहन है.

विलुप्त प्रजातियों को लाने का इरादा

कोलोसल बायोसाइंसेज के वैज्ञानिक डायर वुल्फ के अलावा अन्य विलुप्त प्रजातियों को भी पुनर्जीवित करने की योजना बना रहे हैं. इनमें ऊनी मैमथ, डोडो और थाइलासिन जैसे जानवर शामिल हैं. मार्च में उन्होंने एक ऊनी चूहे के निर्माण की घोषणा की थी, जिसमें मैमथ के लक्षण पाए गए हैं.

कंपनी का कहना है कि उनकी तकनीक न केवल विलुप्त प्रजातियों को पुनर्जीवित कर सकती है, बल्कि लुप्तप्राय जानवरों को भी बचाने में मदद कर सकती है. मैमथ को वापस लाने से हाथियों को जलवायु परिवर्तन से निपटने में सहायता मिलेगी, जबकि थाइलासिन के पुनरुत्थान से क्वोल प्रजाति के संरक्षण में मदद मिलेगी. डायर वुल्फ की वापसी से लाल भेड़िये को भी बचाने में सहायता मिलेगी.

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-भारत एक्सप्रेस



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