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वन-स्टॉप सेंटरों के लिए केंद्र द्वारा दी गई 87% धनराशि नहीं खर्च सकी दिल्ली सरकार, HC ने दिया हल निकालने का निर्देश

दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार के राजस्व विभाग को शहर के वन-स्टॉप सेंटरों (OSC) पर कर्मचारियों को वेतन के भुगतान से संबंधित मुद्दे का हल निकालने का निर्देश दिया है.

Delhi High Court

प्रतीकात्मक तस्वीर

दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार के राजस्व विभाग को शहर के वन-स्टॉप सेंटरों (OSC) पर कर्मचारियों को वेतन के भुगतान से संबंधित मुद्दे का हल निकालने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा यह हिंसा से प्रभावित महिलाओं को महत्वपूर्ण सहायता प्रदान करते हैं. यह आदेश तब आया जब यह पता चला कि कर्मचारियों को महीनों से और कुछ मामलों में पिछले साल से वेतन नहीं मिला है.

मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की अगुवाई में सुनवाई के दौरान अदालत ने इन देरी के लिए जिम्मेदारी तय करने और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की आवश्यकता पर जोर दिया. पीठ ने राजस्व विभाग को स्थिति को सुधारने के लिए की गई कार्रवाई का विवरण देने वाली स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया है.

महिला एवं बाल विकास विभाग और राजस्व विभाग की और से पेश उनके सचिव ने महत्वपूर्ण वित्तीय कुप्रबंधन को स्वीकार किया. उन्होंने बताया कि ओएससी के संचालन के लिए केंद्र सरकार द्वारा प्रदान की गई 87 प्रतिशत धनराशि खर्च नहीं की गई, जिसके परिणामस्वरूप कई जिलों में वेतन का भुगतान नहीं किया गया.

केंद्रीय वकील ने स्पष्ट किया कि आवंटित धन वास्तव में कर्मचारियों के वेतन को कवर कर सकता है, राजस्व विभाग के अधिकारी के पहले के दावों को सही करते हुए जिन्होंने भुगतान न करने के लिए केंद्र से धन की कमी को जिम्मेदार ठहराया था.

पीठ ने प्रशासनिक विफलताओं पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा या तो आप किसी को निलंबित करें या हम आपको निलंबित कर देंगे. यहां कोई ‘महाराजा’ नहीं है. लोग बिना वेतन के ओएससी जा रहे हैं. वेतन न होने से काम नहीं हो रहा है. आपने उनका उत्साह खत्म कर दिया है. आपका विभाग असंवेदनशील है.

यह कानूनी जांच एनजीओ बचपन बचाओ आंदोलन की एक याचिका से शुरू हुई. उनकी और से पेश अधिवक्ता प्रभसहाय कौर ने किया जिसमें ओएससी के गंभीर रूप से कम उपयोग और अनियमित वेतन भुगतान पर प्रकाश डाला गया.

सुप्रीम कोर्ट ने पहले दिसंबर 2018 में आदेश दिया था कि भारत के प्रत्येक जिले को महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों को दर्ज करने के लिए केंद्रीय सुविधा के रूप में कार्य करने के लिए एक वर्ष के भीतर कम से कम एक ओएससी स्थापित करना चाहिए. इन केंद्रों को प्रशिक्षित कर्मचारियों और पर्याप्त चिकित्सा सुविधाओं से लैस होना भी आवश्यक है ताकि पीड़ितों को तत्काल सहायता प्रदान की जा सके और उनकी चिकित्सा जांच की जा सके.

भारत एक्सप्रेस



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