Bharat Express

महाभारत की द्रौपदी का हवाला देते हुए हाईकोर्ट ने विवाहेतर संबंध के आरोपी को किया बरी, पढ़ें पूरा मामला

दिल्ली हाईकोर्ट ने महाभारत की द्रौपदी का उदाहरण देते हुए विवाहेतर संबंध के मामले में आरोपी को बरी किया. कोर्ट ने कहा कि महिला को संपत्ति समझने की मानसिकता आज भी समाज में विद्यमान है.

Delhi HC

दिल्ली हाईकोर्ट (प्रतीकात्मक फोटो)

Vijay Ram Edited by Vijay Ram

महाभारत की द्रौपदी का उदाहरण देते हुए दिल्ली हाईकोर्ट विवाहेतर संबंध के आरोप से एक व्यक्ति को बरी कर दिया. कोर्ट ने कहा कि महिला को संपत्ति मानने एवं उसके विनाशकारी परिणाम के बारे में महाभारत में अच्छी तरह से वर्णित है. इसके बावजूद हमारे समाज की स्त्री-द्वेषी मानसिकता के बारे में तभी समझ में आया जब सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में आईपीसी की धारा 497 (विवाहेतर संबंध का अपराध) को असंवैधानिक घोषित कर दिया.

न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा ने कहा कि द्रौपदी को संपत्ति मानकर किसी और ने नहीं, बल्कि उसके अपने पति युधिष्ठिर ने जुए के खेल में दांव पर लगा दिया था. वहां अन्य चार भाई मूक दर्शक बने हुए थे. द्रौपदी के पास अपनी गरिमा बचाने को लेकर विरोध करने के लिए कोई आवाज नहीं थी.

युधिष्ठिर द्वारा द्रौपदी को दांव पर लगाना

इस तरह से द्रौपदी जुए के खेल में हार गई और इसके बाद महाभारत जैसा भयंकर युद्ध हुआ. उसमें लोखों लोगों की जान चली गई और परिवार के कई सदस्य मारे गए. महिला को संपत्ति की तरह मानने की मूर्खता के परिणाम को प्रदर्शित करने के उदाहरण के बावजूद हमारे समाज की स्त्री-द्वेषी मानिसकता धारा 497 आईपीसी को असंवैधानिक घोषित किए जाने के बाद समझ में आया.

मामले के अनुसार एक पति ने याचिकाकर्ता पर आरोप लगाया कि उसका उसके पत्नी के साथ विवाहेतर संबंध है. उसके खिलाफ धारा 497 के तहत कार्रवाई किया जाए. क्योंकि उसकी पत्नी याचिकाकर्ता के साथ लखनऊ जाकर एक ही होटल के कमरे में रूके थे और उसकी सहमति के बिना शारीरिक संबध बनाए थे.

उसकी पत्नी ने उसे जवाब दिया कि अगर उसे याचिकाकर्ता के साथ रिश्ते से कोई समस्या है तो वह चला जाए. उसने यह शिकायत मजिस्ट्रेट की अदालत से की तो मजिस्ट्रेट ने याचिकाकर्ता को बरी कर दिया. फिर उसने इस आदेश को सत्र अदालत में चुनौती दी तो उसने मजिस्ट्रेट के आदेश को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता को बतौर आरोपी समन किया. आरोपी ने फिर उसे हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. हाईकोर्ट ने भी उसे निरस्त कर दिया और आरोपी को बरी कर दिया.

ये भी पढ़ें: TMC सांसद साकेत गोखले की माफी और हर्जाना माफ करने की अपील ठुकराई, कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा

-भारत एक्सप्रेस 



इस तरह की अन्य खबरें पढ़ने के लिए भारत एक्सप्रेस न्यूज़ ऐप डाउनलोड करें.

Also Read