

दिल्ली हाईकोर्ट ने भारत निर्वाचन आयोग की उस अर्जी को स्वीकार कर लिया जिसमें कालकाजी विधानसभा सीट के चुनाव में इस्तेमाल की गई इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) को जारी करने की मांग की गई है. इस क्षेत्र से पूर्व मुख्यमंत्री आतिशी ने विधानसभा से जीत दर्ज की थी.
आयोग की ओर से अधिवक्ता सिद्धांत कुमार ने आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में ईवीएम और वीवीपैट के इस्तेमाल को देखते हुए उसे जारी करने का अनुरोध किया था. न्यायमूर्ति ज्योति सिंह ने आयोग की अर्जी को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए कहा कि निर्वाचन आयोग ईवीएम को संरक्षित नहीं रख सकता है, लेकिन वोटर वेरिफिएबल पेपर आडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) पर्चियों को अगले आदेश तक संरक्षित रख सकता है. यह अर्जी एक लंबित याचिका में दाखिल किया गया था जिसमें भ्रष्ट आचरण के आधार पर चुनाव में आतिशी की जीत को चुनौती दी गई थी.
ईवीएम जारी करने पर कोई आपत्ति नहीं
आयोग को यह अर्जी इस वजह से दाखिल करना पड़ा, क्योंकि कोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में उसे, निर्वाचन अधिकारी और पुलिस को कालकाजी निर्वाचन क्षेत्र के चुनाव के सभी रिकार्ड संरक्षित रखने का निर्देश दिया था. साथ ही कहा था कि वे भविष्य में उसके आदेश में संशोधन का अनुरोध कर सकते हैं.
याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा था कि उन्हें ईवीएम जारी करने पर कोई आपत्ति नहीं है. लेकिन वीवीपैट पर्चियों को संरक्षित किया जाना आवश्यक है. अब इस मामले की सुनवाई 30 जुलाई को होगी.
कालकाजी निवासी याचिकाकर्ताओं कमलजीत सिंह दुग्गल और आयुष राणा ने आम आदमी पार्टी (आप) की नेता आतिशी की जीत को चुनौती देते हुए कहा है कि वह और उनके मतदान एजेंट भ्रष्ट आचरण में संलिप्त थे. अधिवक्ता टी सिंहदेव के माध्यम से दाखिल याचिका में उनके निर्वाचन को अमान्य घोषित करने की मांग की गई है. आतिशी ने कालकाजी सीट पर भाजपा के अपने प्रतिद्वंद्वी रमेश बिधूड़ी को 3,521 मतों से हराया था. मतदान 5 फरवरी को हुआ था और परिणाम 8 फरवरी को घोषित किए गए थे.
ये भी पढ़ें: मेधा पाटकर को साकेत कोर्ट से मिली सशर्त जमानत, 23 साल पुराने मानहानि केस में हुई थी गिरफ्तारी
-भारत एक्सप्रेस
इस तरह की अन्य खबरें पढ़ने के लिए भारत एक्सप्रेस न्यूज़ ऐप डाउनलोड करें.