दिल्ली हाईकोर्ट.
दिल्ली हाईकोर्ट ने चुनावी बांड के जरिए विभिन्न राजनीतिक दलों को दिए गए चंदे में कथित भ्रष्टाचार को लेकर अदालत की निगरानी में जांच कराए जाने की मांग पर CBI से अपना रूख स्पष्ट करने को कहा है. कार्यवाहक चीफ जस्टिस विभु बाखरू एवं न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने स्पष्ट किया कि वह आरोपों की जांच नहीं कर रहा है, बल्कि उसने सीबीआई के वकील को निर्देश लेने को कहा है.
पीठ ने यह भी कहा कि याचिका सही भावना से दाखिल की गई नहीं लगती है. यह ऐसी जांच का अनुरोध करती है जो मामले से संबंधित नहीं है. उसने कहा कि आप चंदा देने के एवज में लाभ पहुंचाए जाने के आधार पर मामला खड़े कर रहे हैं. यह जांच मामले से संबंधित प्रतीत नहीं होती है. यह एक ऐसी याचिका प्रतीत होती है जो सुनवाई योग्य नहीं है. यह प्रामाणिक नहीं लगती है.
हम नहीं बता रहे आप शिकायत से कैसे निपटेंगे
सीबीआई के वकील ने प्रारंभिक आपत्ति जताते हुए कहा कि याचिका स्वीकार्य नहीं है. पीठ ने इस पर वकील से कहा कि याचिका का दायरा सीमित है. शिकायत की गई है. आप चाहें तो इसे खारिज कर दें. निर्देश लें. हम आपको यह नहीं बता रहे कि आप शिकायत से कैसे निपटेंगे. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कहा कि चुनावी बांड योजना को रद्द करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद हुए खुलासे के मद्देनजर जांच का आदेश देने का मामला बनता है. उन्होंने फिर पीठ से सीबीआई को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश देने का आग्रह किया. पीठ ने उनका अनुरोध खारिज कर दिया और आगे की सुनवाई के लिए 7 जनवरी तय की है.
याचिकाकर्ता सुदीप नारायण तमणकर ने 2 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट के पारित आदेश के बाद 18 अप्रैल, 2024 को की गई उनकी शिकायत की सीबीआई से अदालत की निगरानी में जांच कराए जाने का निर्देश दिए जाने का अनुरोध किया है. उन्होंने अपनी याचिका में कहा है कि चुनावी बांड योजना की आड़ में कॉरपोरेट संस्थाओं और राजनीतिक दलों के बीच लेन-देन की व्यवस्था के लिए एक अपारदर्शी चुनावी वित्तपोषण किया गया है.
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-भारत एक्सप्रेस
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