
सांकेतिक तस्वीर

दिल्ली हाईकोर्ट ने एक व्यक्ति द्वारा न्यायमूर्ति के खिलाफ जांच की मांग पर स्वत: संज्ञान लेने की अपील को खारिज कर दिया. याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि उसने इस मामले में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) के अध्यक्ष को शिकायत भेजी थी, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई.
याचिकाकर्ता ने अदालत में न्यायमूर्ति का नाम लिए बिना कहा कि वह नहीं चाहता कि किसी एक व्यक्ति की वजह से पूरी न्यायपालिका की छवि धूमिल हो. इस पर मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा, “कोई भी ऐसा नहीं चाहता.”
कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेने से किया इनकार
व्यक्ति ने दावा किया कि वह इस बात से परेशान है कि CBDT अध्यक्ष ने उसकी शिकायत पर विचार नहीं किया. जब अदालत ने पूछा कि वह कोर्ट से क्या चाहता है और क्या उसने कोई याचिका दाखिल की है, तो उसने अनुरोध किया कि कोर्ट इस मामले पर स्वत: संज्ञान लेकर निर्देश जारी करे.
हालांकि, पीठ ने स्पष्ट किया कि स्वत: संज्ञान लेने का अधिकार अदालत के पास होता है, किसी याचिकाकर्ता के कहने पर ऐसा नहीं किया जा सकता.
आगे जनहित याचिका दायर करने की बात कही
इसके बाद व्यक्ति ने कहा कि वह इस मुद्दे पर केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) और पुलिस में शिकायत दर्ज कराएगा, साथ ही एक जनहित याचिका (PIL) भी दायर करेगा. इस पर अदालत ने टिप्पणी की, “आप जो चाहें कर सकते हैं, हम आपको सलाह देने के लिए नहीं बैठे हैं.”
व्यक्ति की यह अपील न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के आवास से कथित रूप से अधजली नकदी की बोरी मिलने के विवाद के संदर्भ में की गई थी. हालांकि, अदालत ने इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं की और स्वत: संज्ञान लेने से साफ इनकार कर दिया.
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-भारत एक्सप्रेस
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