

दिल्ली के द्वारका स्थित दिल्ली पब्लिक स्कूल (DPS) द्वारा फीस न जमा करने पर निष्कासित किए गए 32 छात्रों को अब फिर से स्कूल में दाखिला दिया जाएगा. दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग ने हाई कोर्ट में जानकारी देते हुए बताया कि स्कूल को इन सभी छात्रों को तत्काल पुनः प्रवेश देने का निर्देश दिया गया है. साथ ही यह भी स्पष्ट किया गया कि छात्रों के साथ किसी प्रकार का भेदभाव न किया जाए.
दिल्ली हाई कोर्ट में चल रही इस याचिका की अगली सुनवाई 23 मई को होगी. शिक्षा निदेशालय ने स्कूल प्रमुख या प्रबंधक से तीन दिन के भीतर अनुपालन रिपोर्ट मांगी है, जिसमें यह स्पष्ट किया जाए कि अदालत और सरकार के निर्देशों का पालन कैसे किया जा रहा है.
इस मामले की शुरुआत तब हुई जब स्कूल ने फीस वृद्धि को लेकर छात्रों को निष्कासित कर दिया था. इसके खिलाफ 102 अभिभावकों ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर स्कूल प्रबंधन की मनमानी और न्यायिक आदेशों के उल्लंघन की जांच की मांग की थी. याचिका में दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल से अनुरोध किया गया कि डीपीएस द्वारका को नियंत्रण में लिया जाए.
याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि स्कूल पिछले कुछ वर्षों से बढ़ी हुई फीस वसूलने के लिए अभिभावकों पर दबाव बना रहा है. जिन अभिभावकों ने फीस जमा नहीं की, उनके बच्चों को परेशान किया जा रहा है. यहां तक कि स्कूल परिसर में बाउंसर तैनात कर, एक असंवेदनशील और अमानवीय माहौल बनाया गया है. याचिकाकर्ताओं ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि स्कूल प्रबंधन यह दिखाना चाहता है कि शिक्षक नहीं, बाउंसर ही बच्चों को बेहतर तरीके से संभाल सकते हैं.
सुनवाई के दौरान जस्टिस विकास महाजन ने सुझाव दिया कि जिन अभिभावकों को फीस जमा करने में कठिनाई हो रही है, वे अस्थायी रूप से बढ़ी हुई फीस का 50% हिस्सा जमा कर दें. हालांकि, अभिभावकों ने यह कहते हुए इस सुझाव को अस्वीकार कर दिया कि वे इतनी राशि भरने की स्थिति में नहीं हैं.
याचिका में यह भी बताया गया कि स्कूल ने पहले सात हजार रुपये मासिक की फीस बढ़ाई थी, जिसे अब नौ हजार रुपये मासिक कर दिया गया है. याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह वृद्धि न केवल अनुचित है, बल्कि मध्यवर्गीय परिवारों पर अत्यधिक बोझ भी डाल रही है.
अब हाई कोर्ट इस मामले में अगली सुनवाई 23 मई को करेगा, जिसमें स्कूल की अनुपालन रिपोर्ट और अभिभावकों के पक्ष को ध्यान में रखते हुए आगे का निर्णय लिया जाएगा.
-भारत एक्सप्रेस
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