
राजधानी दिल्ली स्थित राऊज एवेन्यू कोर्ट
राऊज एवेन्यू स्थित सीबीआई कोर्ट ने एमसीडी की पूर्व पार्षद गीता रावत को भ्रष्टाचार के आरोपों से बरी कर दिया है। फरवरी 2022 में उन पर रिश्वत लेने का आरोप लगाया गया था, लेकिन अदालत ने मामले में संदेह का लाभ देते हुए उन्हें दोषमुक्त करार दिया।
अभियोजन पक्ष आरोप साबित करने में रहा विफल
विशेष जज संजीव अग्रवाल की अदालत ने गीता रावत के साथ दो अन्य आरोपियों नौशाद अहमद और सनाउल्लाह को भी बरी कर दिया। कोर्ट ने कहा कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (PC Act) की धारा 7 के तहत रिश्वत लेने का तत्व साबित नहीं हुआ। अदालत ने अपने निर्णय में स्पष्ट किया कि अभियोजन पक्ष आरोपी के खिलाफ उचित संदेह से परे आरोप साबित करने में असफल रहा।
रिश्वत के आरोप और जांच का निष्कर्ष
सीबीआई की जांच के अनुसार, 17 फरवरी 2022 को एक सत्यापन किया गया था, जिसमें यह सामने आया कि शिकायतकर्ता जितेंद्र कुमार के माध्यम से गीता रावत की ओर से 20,000 रुपये की रिश्वत मांगी गई थी। आरोप था कि गीता रावत ने अपने पति दिलवान सिंह रावत के जरिए सलीम अली से पश्चिम विनोद नगर में निर्माणाधीन मकान में लेंटर डालने की अनुमति देने के लिए यह राशि मांगी थी।
कोर्ट ने दिया संदेह का लाभ
सीबीआई ने 21 फरवरी 2023 को अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया था, और 29 मई 2023 को इस पर संज्ञान लिया गया। हालांकि, अदालत ने माना कि अभियोजन पक्ष आरोपों को पर्याप्त साक्ष्यों के साथ साबित नहीं कर सका। इसलिए, अदालत ने गीता रावत और अन्य आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया।
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