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सुप्रीम कोर्ट ने रोहिंग्या निर्वासन पर रोक से किया इनकार, अगली सुनवाई 31 जुलाई को

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली से रोहिंग्या मुसलमानों के संभावित निर्वासन पर रोक लगाने से फिलहाल इनकार किया है. कोर्ट ने कहा कि विदेशी नागरिकों के मामले में भारतीय कानून के तहत कार्रवाई होगी.

New Delhi: A view of the Supreme Court complex on the day of the court's verdict on a batch of petitions challenging the abrogation of Article 370 of the Constitution, in New Delhi, Monday, Dec. 11, 2023.(IANS/Anupam Gautam)

सुप्रीम कोर्ट. (फोटो: IANS)

दिल्ली से रोहिंग्या मुसलमानों के संभावित निर्वासन पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल इनकार कर दिया है. कोर्ट ने इस आदेश के बाद यह सवाल उठने लगा है कि भारत में शरणार्थी के रूप में रह रहे रोहिंग्या मुसलमानों का भविष्य क्या होगा?

जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस एन कोटेश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि भारत के संविधान के तहत केवल भारतीय नागरिकों को देश में रहने का अधिकार हैं. कोर्ट 31 जुलाई में इस मामले में अगली सुनवाई करेगा. विदेशी नागरिकों के मामलों में भारतीय कानून के मुताबिक कार्रवाई की जाएगी.

संविधान और विदेशी अधिनियम के तहत होगी कार्रवाई

कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर वे (रोहिंग्या) विदेशी अधिनियम के अनुसार विदेशी हैं, तो उन्हें निर्वासित किया जाना चाहिए. अदालत ने यह टिप्पणी तब की, जब कोर्ट में देश में रोहिंग्याओं की रहने की स्थिति और उनके निर्वासन की मांग करने वालों से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई चल रही थी.

मामले की सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील कोलिन गोंजाल्विस और वकील प्रशांत भूषण ने तर्क दिया कि रोहिंग्या मुसलमानों को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग (यूएनएचसीआर) के शरणार्थी के रूप में मान्यता दी है और उनके पास शरणार्थी कार्ड भी है, इसके अलावे भी कई अन्य दस्तावेज उनके पास मौजूद है.

राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर केंद्र सरकार की आपत्ति

लिहाजा उन्हें भारत में रहने देना चाहिए. दायर याचिका में दावा किया गया था कि रोहिंग्या म्यांमार में नरसंहार का सामना कर रहे हैं और इसलिए शरणार्थियों के रूप में उन्हें भारत में रहने का अधिकार हैं.

मामले की सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और अधिवक्ता कानू अग्रवाल ने कोर्ट को बताया कि पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने असम और जम्मू-कश्मीर में रोहिंग्या मुसलमानों के निर्वासन पर रोक लगाने से इनकार किया था. केंद्र सरकार ने उस समय राष्ट्रीय सुरक्षा पर गंभीर खतरा जताया था.

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-भारत एक्सप्रेस 



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