
झारखंड की एक महिला एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज (एडीजे) की ओर से दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड हाई कोर्ट से महिला जज की याचिका पर दोबारा विचार करने को कहा है. जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और जस्टिस एजी मसीह की पीठ ने अपने आदेश में कहा कि हाई कोर्ट को पिछले फैसले के प्रभाव में आए बिना महिला जज की याचिका पर पुनर्विचार करें. एकल अभिभावक महिला न्यायिक अधिकारी ने झारखंड हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी है.
कोर्ट ने झारखंड हाई कोर्ट को दिया आदेश
कोर्ट ने झारखंड हाई कोर्ट के वकील को तीन दिन में निर्देश प्राप्त करने का आदेश दिया है. कोर्ट अगले सप्ताह इस मामले में अगली सुनवाई करेगा. महिला जज द्वारा दायर याचिका में हाई कोर्ट द्वारा चाइल्ड केयर अवकाश को अस्वीकार किए जाने को चुनौती दी गई है. जिसपर पिछली सुनवाई याचिकाकर्ता के वकील ने कहा था कि याचिकाकर्ता एकल अभिभावक समाज के सबसे निचले तबके से आती है, वह अनुसूचित जाति से है. उन्होंने 4000 से अधिक मामलों का निपटारा किया है.
सीजेआई ने पूछे कई सवाल
सीजेआई ने पूछा था कि क्या वह विधवा है, जिसपर वकील ने कहा कि नही, कोर्ट ने यह भी जानना चाहा था कि आखिर हाई कोर्ट क्यों नही गई? जिसका जवाब देते हुए वकील ने कहा कि हाई कोर्ट में छुट्टियां चल रही है. कोर्ट ने पूछा था कि हाई कोर्ट में वेकेशन बेंच नही बैठती है क्या? वकील ने कहा था कि छुट्टियों के दौरान इसे तत्काल नहीं सुना जाएगा. दायर याचिका में कहा गया है कि उनका तबादला हो गया है.
उन्होंने अपने बच्चे की देखभाल के लिए 10 जून से दिसंबर तक छुट्टी मांगी थी. लेकिन उनके आवेदन को रद्द कर दिया गया. पिछली सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने कोर्ट को यह भी बताया था कि संबंधित जज एकल माता हैं और वर्तमान में झारखंड हाई कोर्ट के अधीन कार्यरत हैं. वह झारखंड हाई कोर्ट के अधीन है और एकल माता है.
-भारत एक्सप्रेस
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