Bharat Express

सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की NEP लागू करने की याचिका, तमिलनाडु, केरल, पश्चिम बंगाल पर फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु, केरल, पश्चिम बंगाल में राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने की याचिका खारिज की. कोर्ट ने कहा, केवल राज्य सरकारें ही ऐसी याचिका दायर कर सकती हैं.

Supreme Court
Aarika Singh Edited by Aarika Singh

केंद्र की राष्ट्रीय शिक्षा नीति को तीन राज्यों तमिलनाडु, केरल और पश्चिम बंगाल में लागू करने की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट ने इंकार कर दिया है. जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने याचिकाकर्ता से पूछा कि आप कौन है. आप इन तीनों राज्यों में नही रहते हैं.

जिसपर याचिकाकर्ता ने कहा कि वह तमिलनाडु का रहने वाला है. कोर्ट ने कहा कि लेकिन आप दिल्ली में रहते है, आपने अनुच्छेद 32 के तहत याचिका दायर की है. जिसपर विचार नही किया जा सकता. कोर्ट ने कहा कि अगर इन तीनों राज्यों सरकारों में से किसी की ओर से याचिका दायर की जाती है तो वो मामले में सुनवाई पर विचार कर सकता है. यह जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट के वकील जीएस मणि की ओर से दायर की गई थी. दायर जनहित याचिका में त्रि-भाषा पाठ्यचर्या नीति तमिलनाडु, केरल और पश्चिम बंगाल में लागू करने की मांग की गई थी.

याचिका में यह भी कहा गया था कि केंद्र सरकार की राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने या समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने से राज्य सरकार का इनकार या विफलता जनहित को नुकसान पहुचा सकती हैं या नागरिकों के अधिकारियों का उल्लंघन कर सकती हैं. तमिलनाडु, केरल और पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्रियों ने लगातार केंद्र सरकार की राष्ट्रीय शिक्षा नीति का विरोध किया है और कहा है कि वे इसे स्वीकार नहीं कर सकते. याचिका में यह भी कहा गया था कि गरीब अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़े और अति पिछड़े वर्ग के बच्चों को सभी भारतीय भाषाएं मुफ्त में पढ़ाई जानी चाहिए.

केंद्र सरकार के कानून सभी राज्यों पर लागू होती है

याचिका में कहा गया था कि तमिलनाडु, केरल और पश्चिम बंगाल की राज्य सरकारें राजनीति कारणों से तीन भाषा फार्मूले को स्वीकार करने से इनकार कर दिया है. याचिका में यह भी कहा गया था कि केंद्र सरकार के कानून, योजनाएं और नीतियां सभी राज्यों पर लागू होती है. इस तरह की नीति लागू करना राज्य सरकारों का कर्तव्य है. याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में यह भी कहा था कि मुफ्त शिक्षा संविधान द्वारा दिया गया मौलिक अधिकार है. इस योजना को स्वीकार करने से इनकार करके, राज्य सरकार बच्चों को मुफ्त शिक्षा के मौलिक अधिकार से वंचित कर रही हैं.

यह नीति कर्नाटक में लागू की गई थी, लेकिन कांग्रेस की सरकार बनने के बाद वापस ले लिया गया. केंद्र सरकार ने 34 सालों के बाद 21वीं सदी की जरूरतों के आधार पर बदलाव लाने वाले राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को जुलाई 2020 में लागू किया गया था. इस नीति को देशभर के शिक्षाविदों, राज्यों, स्कूलों, कॉलेजों, पंचायत, आम लोगों से लेकर सभी हितधारकों के सुझावों के आधार पर अंतरिक्ष वैज्ञानिक के कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता वाली उच्चस्तरीय समिति ने तैयार किया है.

ये भी पढ़ें: नेशनल हेराल्ड मामले में मनी लॉन्ड्रिंग के तहत दर्ज आरोप पत्र पर समन जारी करने को लेकर 21 और 22 मई को सुनवाई करेगा

-भारत एक्सप्रेस



इस तरह की अन्य खबरें पढ़ने के लिए भारत एक्सप्रेस न्यूज़ ऐप डाउनलोड करें.

Also Read