
केंद्र सरकार द्वारा समग्र शिक्षा योजना के तहत कथित धनराशि रोके जाने के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने जल्द सुनवाई से इनकार कर दिया है. जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और जस्टिस मनमोहन की बेंच समक्ष मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने की मांग की है. वरिष्ठ वकील पी विल्सन ने कहा कि तमिलनाडु में लगभग 43 लाख स्कूली छात्र परेशान हैं और नया शैक्षणिक सत्र शुरू हो गया है.
तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का किया रुख
तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन के निदेशानुसार तमिलनाडु राज्य समग्र शिक्षा योजना पर अनुच्छेद 131 के तहत यह याचिका दायर की गई है. तमिलनाडु सरकार ने केंद्र सरकार पर शिक्षा निधि में 2,291 करोड़ रुपये से अधिक अवैध रूप से रोके रखने का आरोप लगाया है. साथ ही राज्य सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 और पीएम श्री स्कूल जैसी संबंधित योजनाओं को लागू करने के लिए राज्य पर वित्तीय दबाव डालने का भी आरोप लगाया है.
याचिका में सुप्रीम कोर्ट से किया ये आग्रह
याचिका में सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया है कि केंद्र सरकार को 2000 करोड़ से ज्यादा की बकाया राशि तत्काल जारी करने का आदेश देने की मांग की गई है. बकाया राशि पर छह फीसदी सलाना ब्याज के साथ भुगतान करने की मांग की गई है. साथ ही केंद्र सरकार द्वारा राशि रोके जाने को असंवैधानिक, अवैध, मनमानी और गैर- जिम्मेदाराना घोषित करने की मांग की गई है.
तमिलनाडु सरकार लंबे समय से तीन भाषा फॉर्मूला का कर रही विरोध
याचिका में यह भी कहा गया है कि केंद्र सरकार बच्चों की शिक्षा के लिए दिए जाने वाले फंड को रोककर राज्य को तीन भाषा फॉर्मूला अपनाने के लिए बलपूर्वक बाध्य नहीं कर सकती है. तमिलनाडु सरकार लंबे समय से तीन भाषा फॉर्मूला का विरोध करती है और दो टूक कहती रही है कि राज्य में हिंदी नहीं थोपी जा सकती. राज्य सरकार ने अपनी याचिका में कहा कि परियोजना अनुमोदन बोर्ड ने 16 फरवरी 2024 को राज्य के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी, जिसमें योजना के दिशा-निर्देशों का पूर्ण अनुपालन स्वीकार किया गया था. लेकिन इसके बावजूद केंद्र सरकार ने 21 मई 2025 तक एक भी रुपया जारी नहीं किया है.
-भारत एक्सप्रेस
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