
सांकेतिक तस्वीर
तीस हजारी कोर्ट ने कहा कि अब न तो छोटे कपड़े पहनना कोई अपराध है और न ही गानों पर नाचना दंडनीय है, भले ही ऐसा नृत्य सार्वजनिक रूप से किया गया हो. यह तभी दंडनीय हो सकता है जब नृत्य नर्तक के अलावा किसी और को परेशान करता हो. अदालत ने यह कहते हुए सात महिलाओं को बरी कर दिया, जिन पर पिछले साल एक बार में अश्लील नृत्य करने एवं लोगों को परेशान करने का आरोप था.
अदालत ने इस मामले में बार प्रबंधक को भी बरी कर दिया, जिस पर सीआरपीसी की धारा 144 के तहत एसीपी, पहाड़ गंज के आदेश/अधिसूचना का उल्लंघन करते हुए बार में सीसीटीवी कैमरों का उचित रखरखाव न करने का आरोप था. तीस हजारी कोर्ट के अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट नीतू शर्मा ने कहा कि अभियोजन पक्ष ऐसा कोई सबूत पेश नहीं किया जिससे यह पता चले कि अधिसूचना कभी प्रकाशित हुई थी या आरोपी को एसीपी के आदेश के बारे में जानकारी थी. इस मामले में ऐसा कोई आरोप नहीं है कि संबंधित रेस्तरां और बार उचित लाइसेंस के बिना या सरकार के प्रावधानों और दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करते हुए चल रहा था. इसलिए संदेह का लाभ आरोपी के पक्ष में जाता है.
महिलाओं पर आईपीसी की धारा 294 के तहत मामला दर्ज
पहाड़गंज थाने के पुलिस ने महिलाओं के खिलाफ आईपीसी की धारा 294 के तहत मामला दर्ज किया था, जो किसी सार्वजनिक स्थान पर दूसरों को परेशान करने के लिए किए गए किसी भी अश्लील कृत्य को अपराध मानता है. मजिस्ट्रेट ने कहा कि अभियोजन पक्ष यह साबित करने में विफल रहा कि मामले में कोई अपराध किया गया था. यह मामला एक सब-इंस्पेक्टर (एसआई) की शिकायत पर दर्ज किया गया था, जिसने इलाके में गश्त करने के दौरान ऐसा नृत्य देखने का दावा किया था. उसने कहा था कि जब वह बार में घुसा तो उसने देखा कि कुछ लड़िकयां छोटे कपड़े पहनकर अश्लील गानों पर नाच रही थीं.
अदालत ने कहा कि पुलिस अधिकारी ने कहीं भी यह दावा नहीं किया कि डांस से किसी अन्य व्यक्ति को परेशानी हुई. अभियोजन पक्ष के दो गवाहों ने कहा है कि वे आनंद लेने के लिए उस जगह गए थे और उन्हें मामले के बारे में कुछ भी पता नहीं था. इससे स्पष्ट होता है कि पुलिस ने एक कहानी गढ़ी, लेकिन उसे जनता का समर्थन नहीं मिला.
अदालत ने पुलिस अधिकारी के दावों को खारिज किया
अदालत ने कहा कि ऐसी परिस्थितियों में भले ही हम एसआई धम्रेद्र के दावे को स्वीकार कर लें, लेकिन इससे अपराध की प्रकृति स्थापित नहीं होगी. इसके अलावा एसआई ने कोई ड्यूटी रोस्टर या डीडी एंट्री पेश नहीं किया जिससे पता चले कि वह वास्तव में संबंधित क्षेत्र में प्रासंगिक समय पर गश्त पर था. डय़ूटी के दौरान एक पुलिस अधिकारी डीडी एंट्री के माध्यम से पुलिस स्टेशन छोड़ सकता है, अन्यथा नहीं. मौखिक दावे को स्वीकार नहीं किया जा सकता है.
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-भारत एक्सप्रेस
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