
कई बार मरीज कैंसर को मात देने के कुछ साल बाद दोबारा इस बीमारी की चपेट में आ जाते हैं. ऐसे में कैंसर से जंग लड़ रहे लोगों के जेहन में अक्सर यह सवाल आता है कि क्या हम कभी इस बीमारी से पूरी तरह से ठीक नहीं हो पाएंगे? आखिर ऐसी क्या वजह है, जिसके कारण कैंसर होने का दोबारा खतरा रहता है? कैंसर से ठीक होने के बाद एक व्यक्ति को अपनी जीवनशैली कैसी रखनी चाहिए, ताकि दोबारा से कैंसर उस पर हावी न हो सके? इस विषय पर डॉ. सीके बिड़ला अस्पताल की मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. पूजा बब्बर और फोर्टिस अस्पताल के डॉ. अमित भार्गव ने महत्वपूर्ण जानकारी साझा की.
कैंसर दोबारा होने के कारण
डॉ. पूजा बब्बर के अनुसार, यदि किसी मरीज का कैंसर स्टेज 3 या 4 में था, तो उसमें दोबारा कैंसर होने की संभावना अधिक होती है. कैंसर के प्रकार पर भी इसका असर पड़ता है. लीवर और पेट के कैंसर में इसकी वापसी की संभावना अधिक होती है, जबकि ब्रेस्ट कैंसर में यह जोखिम अपेक्षाकृत कम रहता है. कैंसर के इलाज के दौरान कुछ कोशिकाएं खत्म नहीं होतीं, बल्कि निष्क्रिय अवस्था में शरीर में बनी रहती हैं. समय के साथ ये कोशिकाएं फिर से सक्रिय होकर कैंसर को जन्म दे सकती हैं.
डॉ. अमित भार्गव बताते हैं कि कुछ कैंसर ऐसे होते हैं, जिनके लक्षण शुरुआती दौर में स्पष्ट नहीं होते. समय पर पता न चलने के कारण, उनका पूरा इलाज नहीं हो पाता, जिससे वे दोबारा उभर सकते हैं. कई बार किसी दूसरी गंभीर बीमारी के कारण भी कैंसर दोबारा हमला कर सकता है. इसलिए डॉक्टर मरीजों को नियमित मेडिकल चेकअप कराने की सलाह देते हैं.
कैंसर से बचाव के लिए जरूरी उपाय
कैंसर से ठीक होने के बाद योग और व्यायाम को अपनी दिनचर्या में शामिल करें. तनाव को कम करने के लिए मेडिटेशन और पर्याप्त नींद लें. धूम्रपान और शराब से पूरी तरह दूर रहें, क्योंकि ये दोबारा कैंसर को बढ़ावा दे सकते हैं.
हरी सब्जियां, फलों और पोषक तत्वों से भरपूर आहार लें. प्रोसेस्ड और जंक फूड से बचें. अपने भोजन में एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर चीजें शामिल करें, जो डीएनए को मजबूत बनाती हैं और कैंसर से बचाव करती हैं.
समय-समय पर ब्लड टेस्ट और अन्य ज़रूरी जांचें करवाते रहें. अगर पहले कैंसर हो चुका है, तो डॉक्टर की सलाह से PET स्कैन या MRI जैसी जांचें कराते रहें. किसी भी असामान्य लक्षण को नज़रअंदाज न करें और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.
कैंसर दोबारा हो तो इलाज कैसा होता है?
डॉ. बब्बर के अनुसार, अगर किसी मरीज में दोबारा कैंसर का अटैक होता है, तो उसका उपचार करना थोड़ा मुश्किल होता है, क्योंकि दोबारा अटैक करने पर कैंसर पहले की तुलना में ज्यादा आक्रमक होता है. उनके मुताबिक कीमोथेरेपी के अलावा हम टारगेटेड थेरेपी, इम्योनो थेरेपी और कारपीस सेल थेरेपी से भी मरीज का उपचार किया जा सकता है.
अगर मरीज के एक बार स्वस्थ होने के कई सालों बाद कैंसर ने अटैक किया है, तो उसे आसानी से ठीक किया जा सकता है. लेकिन, अगर कैंसर से ठीक होने के छह महीने बाद ही दोबारा से कैंसर ने हमला बोल दिया है, तो उपचार जटिल हो सकता है.
-भारत एक्सप्रेस
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