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अगर आप भी करते हैं मोबाइल और कंप्यूटर का ज्यादा इस्तेमाल तो हो जाएं सावधान, हो सकती हैं ये बीमारियां

डिजिटल क्रांति के बाद कंप्यूटर और मोबाइल फोन आज हमारे दिनचर्या का हिस्सा बन गए हैं या कहे कि सभी काम इन्हीं पर निर्भर हो गए हैं.

Excessive Screen Timing

Excessive Screen Timing

Excessive Screen Timing: मोबाइल अब जिंदगी का एक अहम हिस्सा बन गया है. इसमें कोई संदेह नहीं है कि आप मोबाइल का यूज करके परिवार और दोस्तों के संपर्क में रह सकते हैं. हालाँकि इसमें घर से काम करना या ऑनलाइन क्लास जैसी आदतें भी शामिल हैं, जिसके कारण लोग मोबाइल में लगे रहते हैं. लेकिन क्या ऐसा करना बीमारी को बुलावा देने का काम है. जी हां इसके कुछ दुष्प्रभाव भी देखे गए हैं. बता दें इससे कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा काफी बढ़ गया है. आजकल बच्चे हों या बूढ़े सभी को मोबाइल की लत इतनी बुरी लग गई है कि लोग बाथरूम में भी मोबाइल लेकर चले जाते हैं.

इसके अलावा अगर वह मोबाइल रख भी दें तो टीवी में लग जाते हैं. टीवी और मोबाइल के साथ ज्यादा समय बिताने की लत इतनी खतरनाक है कि यह फिजिकल और मेंटल हेल्थ दोंनो को एक साथ नुकसान पहुंचा रही है. आइए हम आपको बताते हैं ज्यादा स्क्रीन टाइम से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले नुकसान के बारे में.

मोटापा

आजकल लोग घंटों तक एक ही जगह पर बैठकर मोबाइल, टीवी या कंप्यूटर चलाते रहते हैं, जो उन्हें उनके शरीर की गतिशीलता को काफी हद तक कम कर देता है. ज्यादातर समय बैठे रहने के कारण मोटापा तेजी से बढ़ने लगता है, जो खुद ही कई बीमारियों की जड़ है.

हार्ट डिजीज

सेडेंटरी लाइफस्टाइल हमारे हार्ट के सबसे बड़े दुश्मनों में से एक है. मोबाइल, कंप्यूटर या फिर टीवी के आगे घंटों तक बैठे रहने से ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और हाई कोलेस्ट्रॉल जैसी बीमारियां होने का खतरा काफी हद तक बढ़ जाता है, जो सीधा आपके हार्ट को नुकसान पहुंचाता है. इसलिए लंबे समय तक मोबाइल, टीवी या कंप्यूटर का इस्तेमाल हार्ट अटैक जैसे खतरे को बढ़ा सकता है.

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तनाव

ज्यादा अधिक स्क्रीन टाइम समय के साथ हमें चिड़चिड़ा बनाता जा रहा है. लोगों के मस्तिष्क में कई ऐसे रासायनिक परिवर्तन देखे जा रहे हैं, जो मानसिक सेहत को गंभीर तौर से प्रभावित कर रहा है. यही कारण है कि लोगों में तनाव, चिंता और अवसाद के मामले देखे जा रहे हैं. बढ़ते हुए स्क्रीन टाइम के कारण संज्ञानात्मक कार्य में कमी, ब्रेन फॉग और याददाश्त से सम्बंधित समस्या भी बढ़ सकती हैं.

-भारत एक्सप्रेस 

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