क्या भारत के ‘AADHAAR’ की तरह पाकिस्तान में भी चलता है कोई कार्ड? जानें
Cervical cancer Death: भारत की विवादित मॉडल में से एक पूनम पांडेय की मौत हो गई है. पूनम ने वर्ल्ड कप जीतने पर इंडियन क्रिकेटर्स के सामने न्यूड होने का ऐलान किया था और हमेशा ही ऐसे सनसनीखेज बयानों के चलते सुर्खियों में रहती थीं. बताया जा रहा है कि पूनम पांडेय सर्वाइकल कैंसर से जूझ रही थीं और आखिरकार उन्होंने दम तोड़ दिया. दिलचस्प है कि यह ऐसी बीमारी है जिसका इलाज तो संभव है साथ ही इससे बचाव के लिए स्वदेशी वैक्सीन भी आ चुकी है और 1 फरवरी को अंतरिम बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने देशभर में 9-14 साल की बच्चियों को सर्वाइकल कैंसर वैक्सीन लगवाने का भी बड़ा फैसला किया था, ताकि महिलाओं को इस कैंसर से बचाया जा सके. ऐसे में आज हम आपको बताते हैं कि कितना खतरनाक होता है सर्वाइकल कैंसर?
भारत में महिलाओं में होने वाला दूसरा सबसे खतरनाक बीमारी सर्वाइकल कैंसर होता है. जिसकी वजह से हर साल हजारों महिलाओं की मौत हो जाती है. भारत में हर साल करीब 1 लाख 30 हजार महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर डिटेक्ट होता है और इनमें से हर साल करीब 74 हजार महिलाओं की जान चली जाती है जो कि संक्रमण का लगभग 62 फीसदी है. ऐसे में यह ब्रेस्ट कैंसर के बाद दूसरा सबसे ज्यादा प्रभावित करने वाला कैंसर है.
यदि शरीर में कोशिकाएं असामान्य तरीके से बढ़ने लगती है तो यह कैंसर का कारण बन सकता है. यहीं कोशिकाएं जब महिलाओं के गर्भाशय में होता है तो इससे Cervical Cancer होने की आशंका बढ़ जाती है. आम बोलचाल में Cervical Cancer को बच्चेदानी के मुंह का कैंसर भी कहा जाता है.
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-कमर में दर्द
-पैरों में सूजन हो जाना
-वेजाइनल डिस्चार्ज-खून या पानी आना
-इंटरकोर्स के बाद वेजाइनल ब्लीडिंग
-पीरियड्स या मेनोपॉज के बाद ब्लीडिंग
-पीरियड्स में हेवी या लंबे समय तक ब्लीडिंग
-यूरिन करते हुए दर्द या खून आना
-कमजोरी, वजन घटना या भूख कम होना
-पेय या पेल्विक एरिया में दर्द होना
हालांकि सर्वाइकल कैंसर से बचाव का उपाय भी सिर्फ वैक्सीन ही है जो कि छोटी बच्चियों और बच्चों को इसके इन्फेक्शन से पहेल ही लगवा देना चाहिए. भारत में बनी सर्वाइकल कैंसर की सीरम इंस्टीट्यूट की सर्वावैक वैक्सीन 98 फीसदी कारगर साबित हो रहा है लेकिन इसके लिए बेहद जरूरी है कि इसे फिजिकल इंटरकोर्स या शारीरिक संबंध बनाने से पहले लगा देना चाहिए. लड़कियों में इसे 9 से 14 साल की उम्र तक लगा देना बेस्ट माना जाता है, लेकिन ऐसा नहीं है कि इसके बाद टीका नहीं लगवाया जा सकता.
-भारत एक्सप्रेस
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