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Oral Cancer: अब मुंह के कैंसर का पता लगाएगी ये वाली लॉलीपॉप, लोगों को दर्द भरी परंपरागत बायोप्सी से मिलेगा छुटकारा

कैंसर की बीमारी दिन पर दिन बढ़ती जा रही है. इसके इलाज की प्रक्रिया में तमाम मरीजों को बहुत ही तकलीफ भरी स्थिति से भी गुजरना पड़ता है.

सांकेतिक फोटो-सोशल मीडिया

Oral Cancer: कैंसर की बीमारी दिन पर दिन बढ़ती जा रही है. कई बार कैंसर की जांचें की दर्दनाक भी हो जाती है. ऐसे में तमाम मरीजों को बहुत ही तकलीफ भरी स्थिति से भी गुजरना पड़ता है. ऐसी ही एक जांच मुंह के कैंसर के लिए की जाने वाली बायोप्सी है, जिसमें मरीज के मुंह के अंदर कैमरा डाला जाता है और तस्वीरें लेकर जांच की जाती है और ये पता किया जाता है कि संबंधित व्यक्ति को कैंसर है या नहीं.

इसी के साथ ही इस जांच से ये भी मालूम किया जाता है कि, मुंह का कैंसर किस स्टेज का है, लेकिन ये जांच मरीज के लिए काफी तकलीफ देह होती है तो वहीं अब जल्द ही मरीजों को इस दर्द से छुटकारा मिल जाएगा, क्योंकि एक नई तकनीक पर वैज्ञानिक लगातार काम कर रहे हैं. अगर ये तकनीक सफल होती है तो एक स्वादिष्ट लॉलीपॉप ही मुंह के कैंसर का पता लगा लेगी.

यूनिवर्सिटी ऑफ बर्मिंघम के वैज्ञानिक कर रहे हैं इस पर काम

बायोप्सी की इस परंपरागत और दर्दभरी तकनीक से छुटकारा दिलाने के लिए यूनिवर्सिटी ऑफ बर्मिंघम के वैज्ञानिक काम कर रहे हैं और एक ऐसे लॉलीपॉप की तकनीक को इजाद कर रहे हैं जिसमें स्मार्ट हाइड्रोजेल जैसे पदार्थ का उपयोग किया जाएगा. जब मरीज लॉलीपॉप चूसेंगे तो उस पर मरीज की लार लिपट जाएगी. हाड्रोजेल एक तरह की आणविक जाली की तरह काम करेगी. जिसमें लार और कैंसर के बायोमेकर का काम करने वाले प्रोटीन फंस जाएंगे.

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जांच का किया जाएगा विश्लेषण

और फिर बाद में ये फंसे हुए प्रोटीन को लैब में हाइड्रोजेल से काट कर निकाला जाएगा और उसकी जांच कर विश्लेषण किया जा सकेगा और ये पता लगाया जाएगा कि सम्बंधित व्यक्ति को मुंह का कैंसर है या नहीं. बर्मिंघम यूनिवर्सिटी में बायोसेंसर्स की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. रुचि गुप्ता ने मीडिया को जानकारी देते हुए कहा है कि उनको पूरी उम्मीद है कि यह प्रोजेक्ट सफल होकर ही रहेगा, जिसके अगले चरण पर काम चल रहा है.

मिला है इतने करोड़ का अनुदान

डा. रुचि ने आगे बताया, इस प्रोजेक्ट की कैंसर रिसर्च यूके और इंजीनियरिंग एंड फिजिक्स साइंस रिसर्च काउंसिल की ओर से लगभग 3 करोड़ 69 लाख रुपये का अनुदान मिला है. वह आगे बताती हैं कि इस तकनीक की सबसे अच्छी बात ये होगी कि यह मुंह के कैंसर को पकड़ने में अधिक दर्द नहीं देगा. इसे विकसित करने का मकसद ही यही है कि मरीजों को दर्द से छुटकारा दिलाया जा सके. फिलहाल शोधकर्ता लॉली पॉप के लिए सही फ्लेवर की तलाश में जुटे हैं जो कि हर व्यक्ति को पसंद आए.

-भारत एक्सप्रेस



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