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अब तक की सबसे खतरनाक बीमारी, जिसमें रातों रात बदल जाता है बोलने का तरीका, जानें कैसे होती है और इसका इलाज

इस बीमारी का नाम फॉरेन एक्सेंट सिंड्रोम है. इसे एक्सेंट चेंज सिंड्रोम के नाम से भी जाना जाता है. इस अजीबोगरीब बीमारी में लोगों का उच्चारण अचानक ही बदल जाता है.

Foreign Accent Syndrome

Foreign Accent Syndrome

Foreign Accent Syndrome: आजकल दुनियाभर में तरह-तरह की अजीबोगरीब बीमारियां फैलने लगी है. जिनपर यकीन करना बड़ा ही मुश्किल होता है. अब अमेरिका के लॉस एंजेलिस शहर का ही एक मामला है, जहां एक महिला लगातार दो हफ्तों तक कोमा में थी और जब वह कोमा से बाहर आई तो उसके बोलने का तरीका ही बदल गया था. दरअसल, महिला की उम्र 24 साल है और उसका नाम समर डियाज है. हैरान करने वाली बात ये है कि महिला अपनी जिंदगी में कभी भी न्यूजीलैंड नहीं गई थी, लेकिन इसके बावजूद कोमा से उठते ही उसने कीवी लहजे में बोलना शुरू कर दिया.

फॉरेन एक्सेंट सिंड्रोम क्या है

इस बीमारी का नाम फॉरेन एक्सेंट सिंड्रोम है. इसे एक्सेंट चेंज सिंड्रोम के नाम से भी जाना जाता है. इस अजीबोगरीब बीमारी में लोगों का उच्चारण अचानक ही बदल जाता है. ऐसे में लोगों को उस मरीज के बोलने का तरीका सुनकर बहुत ही हैरानी होती है कि ऐसा कैसे संभव है. दरअसल, आमतौर पर अलग-अलग देशों के लोगों के बोलने का तरीका और उच्चारण अलग-अलग होता है. जैसे अमेरिका का कोई व्यक्ति अलग तरीके से अंग्रेजी बोलता है, जबकि किसी भारतीय व्यक्ति का अंग्रेजी बोलने का तरीका अलग होता है. इन दोनों ही जगहों के लोगों को एक दूसरे का उच्चारण सीखने में महीनों या सालों लग जाते हैं, लेकिन फॉरेन एक्सेंट सिंड्रोम से पीड़ित लोग आसानी से किसी अन्य एक्सेंट में बोलने लगते हैं.

किस तरह से होता है फॉरेन एक्सेंट सिंड्रोम

कहते हैं कि यह एक दुर्लभ सिंड्रोम है, जिसका पहला मामला साल 1907 में सामने आया था. रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह बीमारी दिमाग के बाएं तरफ वाले भाग ब्रोका में चोट लगने के कारण हो सकती है, क्योंकि शरीर का यही भाग स्पीच में मदद करता है. जब अचानक ही दिमाग तक पहुंचने वाले खून का बहाव रूक जाए और दिमाग की नसें फट जाएं तो ये बीमारी हो सकती है.

इस बीमारी का इलाज

इस बीमारी के इलाज का तरीका ये है कि अगर दिमाग पर चोट लगने के कारण ऐसा हुआ है तो सर्जरी के जरिये दिमाग के क्लॉट को यानी दिमाग में खून को जमने से रोका जाता है, लेकिन अगर किसी अन्य वजह से लोगों को ऐसा हो जाता है, तो फिर उनके इलाज के लिए स्पीच थेरेपी और काउंसलिंग थेरेपी का इस्तेमाल किया जाता है.



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