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कला-साहित्य

मंच पर मधुर आवाज और नियंत्रण के साथ उन्होंने सुरों की आवाज का ऐसा जादू बिखेरा कि शायद ही कोई ऐसा संगीत प्रेमी होगा, जो उन्हें भुला पाए.

आज महादेवी वर्मा की पुण्यतिथि है. उन्होंने अपनी मुख्य रचनाओं और लेखन में भारतीय नारी की पीड़ा, उनकी इच्छाएं और संघर्षों को अपनी कविताओं में प्रस्तुत किया था. वह एक ऐसी कवयित्री थीं, जिन्हें साहित्य प्रेमी आज भी नमन करते हैं.

व्यंग्यकार शरद जोशी ने अपनी एक किताब में लिखा है कि चुने हुए मुख्यमंत्रियों की तीन जात होती हैं. एक तो काबिलियत से चुने जाते हैं, दूसरे वे जो गुट, जाति, रुपयों आदि के दम जीतते हैं और तीसरे वे, जो कोई विकल्प न होने की स्थिति में चुन लिए जाते हैं.

भारत महान रूसी कलाकार, विचारक, लेखक, कवि और दार्शनिक निकोलाय कोन्स्तांतीनोविच रेरिख के दिल के बहुत करीब था, जो उनके रचनात्मक कार्यों में अलग से झलकता है.

उस्ताद विलायत खान पिछले 60 वर्षों में भारतीय शास्त्रीय संगीत की सबसे महान हस्तियों में से एक थे. अपने सितार वादन में गायन शैली को अपनाने ने उन्हें काफी शोहरत दिलाई.

भगवान श्रीकृष्ण के 5251वें जन्मोत्सव समारोह के अवसर पर मथुरा के पाञ्चजन्य प्रेक्षागृह में गीता पर आधारित एक नृत्य नाट्य प्रस्तुति का आयोजन किया गया था.

प्रख्यात लेखक और व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई लिखते हैं कि निंदा में विटामिन और प्रोटीन होते हैं. निंदा खून साफ करती है, पाचन-क्रिया ठीक करती है, बल और स्फूर्ति देती है.

राजधानी दिल्ली स्थित संस्कार भारती में ‘याद-ए-बिस्मिल्लाह’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया. भारत एक्सप्रेस समाचार चैनल ने इस आयोजन में सहयोग दिया.

बिस्मिल्लाह खान की उम्र जब 6 साल ही थी तब वह शहनाई की शिक्षा के लिए वाराणसी अपने मामा अली बख्श के पास आ गए थे. उनके उस्ताद मामा काशी विश्वनाथ मंदिर में शहनाई बजाते थे. यहीं से उन्होंने शहनाई को अपना पहला प्यार बनाया.

उनकी किताब 'लिहाफ' को लेकर उन पर लाहौर कोर्ट में मुकदमा चला. इस्मत ने माफी नहीं मांगी. उन्होंने मुकदमा लड़ा और जीत हासिल की.