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कला-साहित्य

नेताओं और अधिकारियों की सांठगांठ, सरकारी मशीनरी में लगा भ्रष्टाचार का जंग और इन सबसे त्रस्त आम इंसान. वह आम इंसान किस चीज को अपना आदर्श मानेगा, जिसकी सुबह-शाम जिंदगी की बुनियादी जरूरतों को तलाशते हुए डूब जाती हों.

नरेंद्र चंचल का जन्म 16 अक्टूबर 1940 को अमृतसर के एक पंजाबी परिवार में हुआ. बताया जाता है कि वे एक धार्मिक माहौल में पले-बढ़े. इसी से उन्हें भजन और आरती गाने की प्रेरणा मिली.

बालमणि अम्मा का जन्म 19 जुलाई 1909 का जन्म केरल के एक रुढ़िवादी परिवार में हुआ था, जहां लड़कियों को स्कूल भेजना अनुचित माना जाता था.

स्त्रियों को एक स्त्री ही समग्रता से समझ सकती है और प्रख्यात साहित्यकार प्रभा खेता ने साहित्य साधना में स्त्री के सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक और नैतिक मूल्यों को गहराई से समझा था.

शास्त्रीय गायिका केसरबाई केरकर को कला क्षेत्र में योगदान के लिए कई पुरस्कारों से भी नवाजा गया. उन्हें 1953 संगीत नाटक अकादमी अवार्ड और 1969 मे पद्म भूषण से सम्मानित किया गया.

उत्तर प्रदेश में जन्मे कवि सर्वेश्वर दयाल सक्सेना ने अपनी कविताओं से लोगों में जीने की उम्मीद जगाई. वो अपने प्रभावी काम के कारण पत्रकार के रूप में भी प्रसिद्ध हुए.

ताराशंकर बंदोपाध्याय, बंगाली साहित्य के एक महान विभूति, ने भारतीय लेखन की दुनिया पर अपनी अमिट छाप छोड़ी. उनका लेखन, जो भावनात्मक और गहरा है, आज भी पाठकों के साथ जुड़ता है, और बंगाली संस्कृति और मानवीय अनुभव के समृद्ध ताने-बाने को दर्शाता है.

अल-बेरूनी एक फारसी विद्वान् लेखक, वैज्ञानिक, धर्मज्ञ और विचारक थे. उन्होंने 146 किताबें लिखीं, जिनमें खगोल शास्त्र पर 35, ज्योतिष शास्त्र पर 23, गणित पर 15 और साहित्यिक विषय पर करीब 16 किताबें शामिल हैं.

मंच पर मधुर आवाज और नियंत्रण के साथ उन्होंने सुरों की आवाज का ऐसा जादू बिखेरा कि शायद ही कोई ऐसा संगीत प्रेमी होगा, जो उन्हें भुला पाए.

आज महादेवी वर्मा की पुण्यतिथि है. उन्होंने अपनी मुख्य रचनाओं और लेखन में भारतीय नारी की पीड़ा, उनकी इच्छाएं और संघर्षों को अपनी कविताओं में प्रस्तुत किया था. वह एक ऐसी कवयित्री थीं, जिन्हें साहित्य प्रेमी आज भी नमन करते हैं.