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‘मनुष्य को बुद्धि दे सकता है AI…मगर नहीं छू पाएगा मन’, भारतीय पत्रकारिता महोत्सव में बोले डॉ. सुधांशु त्रिवेदी

Sudhanshu Trivedi at Journalism Fest: भारतीय पत्रकारिता महोत्सव में सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, AI बुद्धि दे सकता है लेकिन मन की अनुभूति नहीं. तकनीक की सीमाओं और इंसानी संवेदनाओं पर उनका संदेश दिल छू गया.

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Vijay Ram Edited by Vijay Ram

Indian Journalism Festival 2025: आज मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में भारतीय पत्रकारिता महोत्सव के 17वें संस्करण की शुरुआत हुई, जहां भारत एक्सप्रेस के CMD एवं एडिटर-इन-चीफ उपेन्द्र राय और भाजपा प्रवक्ता डॉ. सुधांशु त्रिवेदी ने शिरकत की. पत्रकारिता महोत्सव में सुधांशु त्रिवेदी ने अपने गहन और भावनात्मक भाषण में तकनीक, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मानव चेतना के बीच के गहरे संबंधों पर विचार साझा किए.

अपने संबोधन की शुरुआत में सुधांशु त्रिवेदी ने 12 अप्रैल की ऐतिहासिक महत्ता को याद करते हुए कहा कि 12 अप्रैल 1961 को यूरी गगारिन ने पहली बार अंतरिक्ष में जाकर इतिहास रच दिया था. उन्होंने इस दिन को विज्ञान और तकनीक की सबसे बड़ी छलांग बताया और इसे AI जैसे उभरते क्षेत्रों से जोड़ते हुए कहा कि “आज हम जिस AI की बात कर रहे हैं, वो न केवल समस्याएं लाएगा, बल्कि बहुत सारी समस्याओं का समाधान भी बन सकता है.”

लेकिन उन्होंने साथ ही यह भी कहा कि AI की सबसे बड़ी सीख यह होगी कि बुद्धिमत्ता (Intelligence) भी कृत्रिम हो सकती है. यानी मनुष्य को अपनी बुद्धि पर घमंड करने की बजाय यह समझना होगा कि असली मूल्य उस शक्ति में है जो बुद्धि को प्रेरित करती है—’मन’.

AI है बुद्धि, पर मन का विकल्प नहीं

सुधांशु त्रिवेदी ने भारतीय दर्शन को संदर्भित करते हुए कहा कि हमारे यहां “अंत:करण चतुष्टय” की बात की गई है—मन, बुद्धि, चित्त और अहंकार. उन्होंने कहा कि बुद्धि केवल प्रतिक्रिया कर सकती है, लेकिन अनुभूति केवल मन के स्तर पर होती है. यही वो बिंदु है जहां AI की सीमाएं शुरू होती हैं.

उन्होंने यह स्पष्ट किया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस भले ही अनगिनत विश्लेषण कर सके, पर उसमें संवेदना और अनुभूति नहीं होती. यह तकनीक बहुत कुछ कर सकती है, लेकिन वह “धरती की मौन व्यथा” को नहीं समझ सकती.

कविता के माध्यम से संवेदनशीलता की बात

अपने वक्तव्य को एक काव्यात्मक अंदाज़ में समाप्त करते हुए त्रिवेदी ने कहा:

“आकाश नापने वालों, तुम सच-सच कह दो
क्या नाप सके हो तुम धरती की मौन व्यथा?”


उन्होंने कहा कि जब इंसान चांद पर पहुंच गया था, तब भी धरती की पीड़ा को कोई नहीं समझ पाया था. आज भी यही सवाल AI से है—क्या यह इंसानी दर्द, भूख, प्यास और भावनाओं को समझ सकेगा?

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सुधांशु त्रिवेदी: विचारशील राजनेता, गहन वक्ता

डॉ. सुधांशु त्रिवेदी भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख प्रवक्ताओं में से एक हैं. वे भारतीय संस्कृति, विज्ञान और राजनीति के जटिल विषयों पर अपने गंभीर और संतुलित विचारों के लिए जाने जाते हैं. उन्होंने इंजीनियरिंग में पीएचडी की है और तकनीक से जुड़े विषयों पर गहरी समझ रखते हैं. भाषण कला में दक्ष त्रिवेदी जटिल तकनीकी अवधारणाओं को भावनात्मक और दार्शनिक दृष्टिकोण से जोड़कर पेश करने की कला में माहिर हैं.

CMD उपेन्द्र राय की मौजूदगी ने बढ़ाया मान

कार्यक्रम में भारत एक्सप्रेस के सीएमडी उपेन्द्र राय की उपस्थिति ने कार्यक्रम की गरिमा और बढ़ा दी. उन्होंने भी AI पर विचार रखते हुए कहा था कि यह तकनीक एक ‘डबल एज्ड स्वॉर्ड’ है—एक ओर संभावनाएं, दूसरी ओर चिंताएं.

उनकी पूरी स्‍पीच यहां पढिए: CMD उपेन्द्र राय का AI और उसके भविष्य पर संबोधन, बोले- ‘यह कोई खतरा नहीं, बल्कि एक क्रांति है…’



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