अग्नि पंचक
Agni Panchak: हिंदू धर्म में प्रत्येक कार्य शुभ और अच्छा मुहूर्त को ध्यान में रखकर किया जाता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, अशुभ समय में किए गए कार्य का परिणाम शुभ नहीं मिलता. यही वजह है कि पंचक के दौरान कुछ कार्यों को करने की मनाही होती है. दिन के हिसाब से पंचक का खास महत्व है. सोमवार और बुधवार से शुरू होने वाले पंचक को राज पंचक कहा जाता है. रविवार से शुरू होने वाला पंचक रोग पंचक कहा जाता है. इसके अलावा गुरुवार और मंगलवार से शुरू होने वाला पंचक अग्नि पंचक के नाम से जाना जाता है. जबकि, शुक्रवार से शुरू होने वाला पंचक चोर पंचक और शनिवार से शुरू होने वाले पंचक मृत्यु पंचक कहते हैं. पंचांग के अनुसार, 2 मई से अग्नि पंचक शुरू होने जा रहा है.
अग्नि पंचक कब से कब तक है?
दृक पंचांग के अनुसार, 2 मई (गुरुवार) को दोपहर 2 बजकर 32 मिनट से अग्नि पंचक शुरू होने वाला है. जबकि यह अग्नि पंचक 6 मई को शाम 5 बजकर 43 मिनट पर खत्म होगा.
अग्नि पंचक के दौरान 5 दिन क्या ना करें?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, गुरुवार से शुरू होने वाला पंचक अग्नि पंचक कहा जाता है. अग्नि पंचक के दौरान आग का भय रहता है. इसलिए, इस पंचक के दौरान किसी भी प्रकार का निर्माण कार्य और मशीनरी इत्यादि कार्यों को करने से बचना चाहिए क्योंकि इससे नुकसान की संभवना रहती है.
अग्नि पंचक के दौरान क्या कर सकते हैं?
अग्नि पंचक दौरान शास्त्रीय नियम के मुताबिक, कुछ कार्य किए जा सकते हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, अग्नि पंचक के दौरान कोर्ट-कचहरी, और वाद-विवाद इत्यादि के फैसले या अपना हक पाने वाले काम किए जा सकते हैं. इसके लिए मनाही नहीं है.
पंचक का नक्षत्र से क्या है कनेक्शन?
पंचक का नक्षत्रों से भी खास कनेक्शन है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, धनिष्ठा नक्षत्र में आग लगने का भय बना रहता है. जबकि, शतभिषा नक्षत्र में कलह की संभवना बढ़ जाती है. इसके अलावा पूर्वा भाद्रपद में जहां बीमारी का खतरा रहता है, वहीं, उत्तरा भाद्रपद में आर्थिक नुकसान (दंड लगना) की प्रबल संभावना रहती है. इतना ही नहीं, रेवती नक्षत्र में धन-हानि हो सकती है.
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