भगवान बुद्ध.
Buddha Purnima 2024 Story: आज वैशाख मास की पूर्णिमा तिथि है. ऐसे में आज बुद्ध पूर्णिमा का उत्सव मनाया जा रहा है. बुद्ध पूर्णिमा का सनातन धर्म में खास महत्व है. हिंदू कैलेंडर के मुताबिक, बुद्ध पूर्णिमा आज (23 मई) को मनाई जा रही है. ऐसा कहा जाता है कि बुद्ध पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु का बुद्धावतार हुआ था. मान्यता है कि बुद्ध पूर्णिमा के दिन वातावरण और जल में विशेष प्रकार की ऊर्जा का संचार होता है. पूर्णिमा तिथि पर चंद्र देव पृथ्वी और जल तत्व को विशेष तौर पर प्रभावित करते हैं. ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, पूर्णिमा तिथि के स्वामी चंद्र देव हैं. इसलिए इस दिन चंद्र देव की उपासना करने से या उन्हें अर्घ्य देने से मानसिक परेशानियों से छुटकारा मिल जाता है. चलिए, अब जानते हैं कि आखिर राजकुमार सिद्धार्थ राजशाही ठाठ बाट को छोड़कर बुद्ध क्यों बन गए.
सिद्धार्थ कैसे बने बुद्ध?
इस बात से आज हर कोई वाकिफ है कि भगवान बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व में लुम्बिनी नामक जगह पर हुआ था. बचपन में लोग इन्हें सिद्धार्थ कहा करते थे. कहते हैं कि एक बार सिद्धार्थ घर के बाहर टहलने के लिए निकले तो उन्हें रास्ते में एक बीमार व्यक्ति नजर आया. जिसे देखने के बाद सिद्धार्थ के मन में सवाल खड़ा हुआ कि क्या एक समय वह भी बीमार पड़ेगा, बूढ़ा हो जाएगा और फिर मर जाएगा? जब सिद्धार्थ पानी की खोज में निकले तो रास्ते में उन्हें एक सन्यासी मिला. जिसने सिद्धार्थ को मुक्ति के मार्ग के बारे में विस्तार से बताया. कहते हैं कि इस घटना के बाद ही राजकुमार सिद्धार्थ ने सन्यास ग्रहण कर लिया.
6 वर्षों की तपस्या के बाद हुई ज्ञान की प्राप्ति
भगवान बुद्ध 29 वर्ष की अवस्था में घर छोड़कर सन्यास की राह पर निकल पड़े. इस दौरान उन्होंने एक पीपल के वृक्ष के नीचे 6 वर्षों तक तपस्या की. कहते हैं कि वैशाख पूर्णिमा के दिन ही पीपल के नीचे भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई. जिस पीपल वृक्ष के नीचे भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई वह बिहार के बोधगया में स्थित है. भगवान बुद्ध ने अपना पहला उपदेश सारनाथ (में दिया था.
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