दशहरा 2024
Dussehra 2004 Ravan Dahan Durga Visarjan Shastra Pujan Muhurat: आज देशभर में दशहरा का त्योहार मनाया जा रहा है. पंचांग के अनुसार, दशहरा पर आज तीन शुभ मुहूर्त प्राप्त हो रहे हैं. इस बार दशहरा श्रवण नक्षत्र, रवि योग और सर्वार्थसिद्धि योग में मनाया जाएगा. शास्त्रों के मुताबिक, दशहरा के दिन देवी अपराजिता का विधान है. इसके अलावा इस दिन शस्त्र पूजन और रावण दहन भी किया जाता है. इतना ही नहीं, इस दिन शमी की पूजा से विशेष शुभ फल की प्राप्ति होती है. दशहरा के दिन दुर्गा विसर्जन भी किया जाता है. आइए जानते हैं दशहरा पर रावण दहन का शुभ मुहूर्त, शस्त्र पूजन और दुर्गा विसर्जन के बारे में.
दशहरा 2024 शुभ मुहूर्त
- अश्विन शुक्ल दशमी तिथि का प्रारंभ- सुबह 10 बजकर 58 मिनट से
- अश्विन शुक्ल दशमी तिथि का समापन- रविवार, सुबह 9 बजकर 08 मिनट पर
- दशहरा का ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 04 बजकर 41 मिनट से 05:31 बजे तक
- दशहरा का अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 44 मिनट से दोपहर 12 बजकर 30 मिनट तक
- देवी अपराजिता की पूजा का समय- दोपहर 02 बजकर 03 मिनट से 02 बजकर 49 मिनट के बीच
दशहरा पर बन रहे हैं ये 3 शुभ संयोग
पंचांग के अनुसार, इस साल दशहरा पर तीन शुभ संयोग बन रहे हैं. पहला शुभ संयोग श्रवण नक्षत्र का है जो आज पूरे दिन रहेगा. इसके साथ ही रवि योग का शुभ संयोग भी पूरे दिन बना रहेगा. इसके अलावा सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 06 बजकर 20 मिनट से कल सुबह 04 बजकर 27 मिनट तक रहेगा.
दशहरा 2024: शस्त्र पूजा का समय
विजयादशमी के दिन विजय मुहूर्त में शस्त्र पूजन का विधान है. पंचांग के अनुसार, इस साल शस्त्र पूजा का समय दोपहर 02 बजकर 03 मिनट से 02 बजकर 49 मिनट तक रहेगा.
दुर्गा विसर्जन मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, आज दुर्गा विसर्जन के लिए शुभ मुहूर्त दोपहर 1 बजकर 17 मिनट से 3 बजकर 35 मिनट से बीच का है. इस शुभ मुहू्र्त में दुर्गा प्रतिमा या कलश विसर्जन किया जा सकता है.
रावण दहन 2024 शुभ मुहूर्त
विजयादशमी पर आज रावण-दहन शाम को 5 बजकर 54 मिनट के बाद किया जा सकता है. इस बार रावण दहन के लिए ढाई घंटे का शुभ मुहूर्त है. दशहरा पर प्रदोष काल में रावण दहन करने का विधान है. प्रदोष काल सूर्यास्त के बाद से शुरू होता है.
दशहरा पर करते हैं नीलकंठ पक्षी के दर्शन
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान राम ने जब रावण का वध कर दिया तो उन पर ब्रह्म हत्या का दोष लगा. कहते हैं कि ब्रह्म हत्या से मुक्ति पाने के लिए श्रीराम और उनके छोटे भाई लक्ष्मण ने भगवान शिव की पूजा की थी. उस वक्त उन्हें भगवान शिव ने नीलकंठ पक्षी के रूप में दर्शन दिए. यही वजह है कि विजयादशमी के दिन नीलकंठ पक्षी का दर्शन करना शुभ माना जाता है.